अन्न की कमी से न हो कुपोषण, हर माह 151 परिवारों को दे रहे राशन
ऐसे लोग जिनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है। एक वक्त की रोटी भी मुश्किल है। भूख के कारण कुपोषण का शिकार न हो इसके लिए शहर के 450 लोगों की टीम मदद के लिए आगे आई है। ये टीम हर माह 151 असहाय परिवारों को राशन उपलब्ध करवा रही है। ये राशन भी उच्च क्वालिटी का होता है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : ऐसे लोग जिनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है। एक वक्त की रोटी भी मुश्किल है। भूख के कारण कुपोषण का शिकार न हो, इसके लिए शहर के 450 लोगों की टीम मदद के लिए आगे आई है। ये टीम हर माह 151 असहाय परिवारों को राशन उपलब्ध करवा रही है। ये राशन भी उच्च क्वालिटी का होता है।
स्वामी ज्ञानानंद की एक बात से हुई शुरुआत : श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति के अध्यक्ष गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज जिले में आए थे तो उन्होंने प्रवचन करते हुए कहा था कि कोई भी परिवार भूखे पेट नहीं सोना चाहिए। बस फिर क्या था। 18 साल पहले श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति के बैनर तले असहाय लोगों को राशन वितरण करने का कार्य शुरू किया गया। शुरुआती दौर में 21 परिवारों से यह कारवां शुरू किया गया था। अब हर माह 151 परिवारों को राशन दिया जा रहा है। सभी लोगों के बना रखे राशन कार्ड : इन लोगों को राशन देने की प्रक्रिया ठीक वैसी ही है, जैसे खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा सस्ते अनाज के डिपो से लोगों को राशन उपलब्ध करवाया जाता है। श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति ने राशन लेने वालों के कार्ड बना रखे हैं। जिनमें हर माह दिए जाने वाले राशन की डिटेल लिखी जाती है। समिति लोगों को 10 किलो आटा, चायपत्ती, चीनी, साबुन, दाल, सरसों का तेल व सर्फ के अलावा अन्य सामान उपलब्ध करवा रही है। अपने पास से एकत्रित करते हैं राशि : समिति के प्रधान भारत भूषण बंसल, संरक्षक लाला अमरनाथ बंसल, प्रेस सचिव केवल कृष्ण सैनी, राज सलूजा, जितेंद्र गुप्ता, अनिल अरोड़ा, नीरज कालड़ा, बंटी ने बताया कि समिति से उद्योगपति, व्यापारी से लेकर हर वर्ग के लोग जुड़े हुए हैं। सभी सदस्य हर माह 100-100 रुपये एकत्रित करते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने एक-एक परिवार को गोद ले रखा है और वे पूरे साल के पैसे एक साथ जमा करवा देते हैं। जो व्यक्ति समिति से राशन लेना चाहता है वो अपना नाम लिखवा सकता है। इसके बाद टीम के सदस्य उसके घर पर सर्वे करने जाते हैं। पहली शर्त यही है कि जिसे राशन देना है वो असहाय होना चाहिए। जिनके परिवार से लोग इस स्थिति में हो जाते हैं कि वे अपना गुजारा खुद कर सकते हैं तो वे अपना नाम खुद कटवा देते हैं।