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गर्भवती महिलाओं की दिक्कत देखी तो अपने खर्च से सामुदायिक अस्पताल में बनवा दिए शौचालय

सरकार हर घर में शौचालय पर जोर दे रही है। भारी भरकम बजट भी इसके लिए खर्च किया जा रहा है। पर यहां स्थिति दूसरी ही है। बिलासपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शौचालयों की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं को खुले में जाना पड़ रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बिलासपुर के ही समाजसेवी पंकुश खुराना ने अपने खर्च से अस्पताल में दो शौचालय बनवाए हैं। अब गर्भवती महिलाओं को परेशान नहीं होना पड़ता। इसके साथ ही पुरूष शौचालय भी बनवाया गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 11:27 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 11:27 PM (IST)
गर्भवती महिलाओं की दिक्कत देखी तो अपने खर्च से सामुदायिक अस्पताल में बनवा दिए शौचालय
गर्भवती महिलाओं की दिक्कत देखी तो अपने खर्च से सामुदायिक अस्पताल में बनवा दिए शौचालय

पंकज बत्रा, बिलासपुर

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सरकार हर घर में शौचालय पर जोर दे रही है। भारी भरकम बजट भी इसके लिए खर्च किया जा रहा है। पर यहां स्थिति दूसरी ही है। बिलासपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शौचालयों की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं को खुले में जाना पड़ रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बिलासपुर के ही समाजसेवी पंकुश खुराना ने अपने खर्च से अस्पताल में दो शौचालय बनवाए हैं। अब गर्भवती महिलाओं को परेशान नहीं होना पड़ता। इसके साथ ही पुरूष शौचालय भी बनवाया गया है।

दरअसल, पंकुश एक दिन बिलासपुर के सामुदायिक अस्पताल में गए थे। उन्होंने देखा कि एक गर्भवती महिला पेड़ की आड़ में छिपकर टॉयलेट करने के लिए जाती है, लेकिन कोई न कोई अस्पताल में आता रहता है। काफी देर तक वह इसी इंतजार में खड़ी रहती है। जिस पर वह सीधे डॉक्टर के पास जाते हैं और इस संबंध में बात करते हैं। डॉक्टर से जब उन्होंने पूछा कि यहां पर शौचालय की व्यवस्था नहीं है क्या। तो डॉक्टर जवाब देते हैं कि शौचालय की व्यवस्था है, लेकिन दूसरी बिल्डिंग में है। यहां पर केवल गर्भवती महिलाओं का इलाज होता है। उनके लिए यहां शौचालय नहीं है, उन्हें लघु शंका या शौचालय के लिए दूसरी बि¨ल्डग में जाना पड़ेगा।

यहां पर शौचालय होना चाहिए

तत्कालीन एसएमओ डॉ. रमेश कुमार से भी इस बारे में पंकुश ने बात की, तो उन्होंने बताया कि शौचालय यहां पर होना चाहिए। बजट न होने की वजह से नहीं बनवाया जा सका। जिस पर पंकुश ने खुद के बजट से शौचालय बनवाने की बात कही, तो एसएमओ तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि केंद्र परिसर में जगह दे देंगे, लेकिन बजट आपका होगा।

सवा लाख रुपये की आई लागत

पंकुश बताते हैं कि यह एक गंभीर समस्या है। एक तरफ सरकार खुले में शौच मुक्ति के दावे कर रही है। जबकि उनके अपने केंद्रों पर शौचालयों की किल्लत है। अस्पताल में तो यह सबसे जरुरी है, क्योंकि यहां पर शुगर, बीपी आदि बीमारियों के मरीज आते हैं। ऐसे में उनके लिए शौचालयों की बेहद जरूरत है। दूसरी बिल्डिंग में जाने में तो उन्हें और दिक्कत होती होगी। इसलिए ही उन्होंने खुद से शौचालयों का निर्माण कराने का निर्णय लिया। अस्पताल में दो शौचालय बनवाए गए। एक महिलाओं के लिए व एक पुरूषों के लिए। करीब सवा लाख रुपये की मात्र लागत आई है।

शौचालय की बेहद जरूरत थी : परवीन

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी शमा परवीन ने बताया कि यहां शौचालयों की बेहद जरूरत थी। शौचालय बनने से सबसे अधिक लाभ महिलाओं को मिला। अब उन्हें दूसरी बिल्डिंग में नहीं जाना पड़ता है।


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