मछरौली में ठेके पर शराब ठेकेदार ने ही की फायरिग, सीआइए की जांच में खुला मामला
मछरौली गांव में शराब ठेके पर फायरिग के मामले में नया मोड़
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मछरौली गांव में शराब ठेके पर फायरिग के मामले में नया मोड़ आया है। इस मामले की जांच सीआइए वन कर रही है। जांच में सामने आया कि शराब ठेकेदार बूटगढ़ गांव निवासी कुलबीर सिंह ने ही फायरिग की और पुलिस से मिलीभगत कर कई अन्य युवकों पर केस दर्ज करा दिया। अब पुलिस ने इस केस में हत्या के प्रयास की धारा हटा दी है। साथ ही ठेकेदार पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है। इस केस में पुलिस ने कई आरोपितों को गिरफ्तार किया है। दो दिन पहले मुख्य आरोपित बताए गए मछरौली निवासी बलविद्र को भी गिरफ्तार किया था।
यह दी गई थी शिकायत :
बूटगढ़ निवासी शराब ठेकेदार कुलबीर सिंह ने शिकायत दी थी कि पांच जुलाई की रात को मछरौली गांव में शराब ठेके पर काका, बलविद्र उर्फ बिद्र व शमसेर उर्फ बब्लू ने 10-15 साथियों के साथ हमला बोल दिया था। इससे पहले आरोपितों ने उनके साथ गाली गलौज कर कार में तोड़फोड़ की। बाद में उनके ठेके पर पहुंचे और वहां बाहर खड़ी गाड़ियों को तोड़ दिया। इस दौरान फायरिग की गई। जिसमें ठेके के अंदर सो रहे कारिदे बाल-बाल बच गए थे। इस मामले में बिलासपुर पुलिस ने हत्या के प्रयास व आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। कई आरोपितों को गिरफ्तार भी किया।
ग्रामीण मिले थे एसपी से :
बताया जा रहा है कि दो दिन पहले बिलासपुर पुलिस ने मछरौली निवासी बलविद्र उर्फ बिद्र को पकड़ा। जिस पर ग्रामीण एसपी कमलदीप गोयल से मिले। उन्हें बताया कि झूठा केस दर्ज कर युवाओं को फंसाया गया है। इसके बाद एसपी ने यह केस सीआइए वन को ट्रांसफर किया। सीआइए वन ने केस की जांच शुरू की। जांच में पता लगा कि शराब ठेकेदार ने वारदात के दौरान सेल्समैन कर्मवीर व एक अन्य को गवाह बनाया था। जब सीआइए वन की टीम ने इनसे पूछताछ की, तो उन्होंने बताया कि वह घटना के समय मौके पर नहीं थे। इससे पूरा मामला साफ हो गया। सीआइए वन के जांच अधिकारी एसआइ राजेश राणा ने बताया कि जांच में सामने आया कि शराब ठेकेदार कुलबीर ने ही फायरिग की और उसने ही झूठा केस इन युवकों पर करा दिया। अब कुलबीर के खिलाफ फर्जी साक्ष्य तैयार करने, फायरिग करने समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
चार माह से जेल में बेकसूर :
बिलासपुर पुलिस की लापरवाही की वजह से इस केस में पकड़े गए तीन आरोपित चार माह से जेल में है। उन्होंने कोई वारदात नहीं की, लेकिन बिलासपुर पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए इन युवकों को जेल भेज दिया। सीआइए वन ने जांच के दौरान बिलासपुर पुलिस के केस को ही बदल दिया। अब इन युवकों पर लगाई गई हत्या के प्रयास की धारा हटा दी गई है।