चमड़ा उद्योग को आर्थिक मदद देने की मांग
चमड़ा उद्योग को सरकार से विशेष आर्थिक सहायता न मिलने के कारण ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में मृतक पशुओं को उठाने का काम करने वाले लोगों का रोजगार खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है।
संवाद सहयोगी, रादौर : चमड़ा उद्योग को सरकार से विशेष आर्थिक सहायता न मिलने के कारण ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में मृतक पशुओं को उठाने का काम करने वाले लोगों का रोजगार खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। वर्षों से चमड़ा उद्योग से जुड़े लोगों को सरकार की ओर से कोई राहत न मिलने के कारण उनका रोजगार चौपट होता जा रहा है।
पशुओं को उठाने का काम कर रहे सुरेश कुमार ने बताया कि चमड़ा उद्योग से जुड़े लोगों को सरकार की अनदेखी के कारण अपने परिवारों का गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है। इस काम में अब पहले जैसा मुनाफा नहीं रहा है। वह वर्षों से अपने परिवार के लोगों के साथ मिलकर मरे पशुओं को उठाने का काम कर रहे हैं। यदि इस काम से जुड़े लोग मरे हुए पशुओं को उठाना छोड़ दें तो हर शहर महामारी फैलने का खतरा बना रहता है। सरकार ने चमड़ा उद्योग पर भारी भरकम टैक्स लगा दिए है।