सरस्वती नदी के लिए नहीं मिली जमीन, अब तहसीलदार व सचिव जाएंगे किसानों के द्वार
सरस्वती नदी में जल प्रवाह हो सके इसके लिए प्रशासन को 68.36 एकड़ जमीन चाहिए। इसके लिए ई-भूमि पोर्टल पर जमीन के लिए किसानों से आवेदन मांगे गए थे परंतु एक साल बीतने के बावजूद किसी किसान ने पोर्टल पर जमीन देने के लिए आवेदन नहीं किया।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सरस्वती नदी में जल प्रवाह हो सके इसके लिए प्रशासन को 68.36 एकड़ जमीन चाहिए। इसके लिए ई-भूमि पोर्टल पर जमीन के लिए किसानों से आवेदन मांगे गए थे, परंतु एक साल बीतने के बावजूद किसी किसान ने पोर्टल पर जमीन देने के लिए आवेदन नहीं किया। ऐसे में प्रशासन अब खुद किसानों के द्वार जाएगा। इसके लिए तहसीलदार व ग्राम सचिवों की ड्यूटी लगाई गई है जो किसानों के पास जाकर उनसे सरस्वती प्रोजेक्ट के लिए जमीन देने की बात करेंगे। साथ ही उन्हें यह भी बताएंगे कि सरस्वती में पानी आने के बाद उन्हें कितना फायदा होगा। अवैध कब्जों के अलावा किसानों के नाम है जमीन
सेटेलाइट से जिस जगह पर सरस्वती के प्रवाहित होने के सुबूत मिले थे वहां की जमीन पर कब्जे हो चुके हैं या फिर वह रिकार्ड में किसानों के नाम है। जिले के 22 गांव ऐसे हैं जिनकी 68.36 एकड़ जमीन नदी के लिए सरकार को खरीदनी है। साल बीतने पर अब तक एक भी किसान ने नदी के लिए जमीन देने की इच्छा नहीं जताई है। जमीन नहीं मिलने से 500 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट अधर में है। इन गांवों में चाहिए जमीन:
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 में उपमंडल बिलासपुर के मुगलवाली गांव से सरस्वती नदी की खोदाई शुरू की थी। जिन 22 गांवों से सरकार को जमीन खरीदनी है उसमें ऊंचा चांदना, दौलतपुर, मालीमाजरा, सरस्वती नगर, छप्पर, मंसूरपुर, खेड़ा खुर्द, अंबली, सबीलपुर, देहरा, तलाकौर, कोत्तरखाना, नगला जागीर, पाबनी कलां, जुड्डा जटान, जुड्डा शेखान, चंदाखेड़ी, बिलासपुर, मोहड़ी, भवानीपुर, मिल्कखास व मछरौली शामिल हैं। इनमें 20 एकड़ जमीन तो एक ही जगह है। जबकि 48 एकड़ जमीन विभिन्न जगहों पर है। 700 मीटर ऊपर बनेगा बैराज:
आदिबद्री में रामपुर गेंडा गांव से 700 मीटर ऊपर बैराज बनेगा। इसमें एकत्रित पानी को पाइप लाइन से साढ़े सात किलोमीटर दूर रामपुर हेडियान, रामपुर कंबोयान व छलौर गांव में 350 एकड़ में बने जलाशय में लाया जाएगा। डैम को लेकर गत माह केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आदिबद्री का दौरा कर हरियाणा व हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों की मीटिग ली थी। उन्होंने मार्च 2020 तक डैम की ड्राइंग को फाइनल रूप देने का आश्वासन दिया था। ऊंचा चांदना से कुरुक्षेत्र के शाहबाद फीडर तक सरस्वती नदी प्राकृतिक प्रवाह के साथ जमीन के नीचे बहती है। तहसीलदार व ग्राम सचिवों की लगाई ड्यूटी
सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड के एसई अरविद कौशिक का कहना है कि प्रोजेक्ट के लिए 68.36 एकड़ जमीन चाहिए। ई-भूमि पोर्टल पर किसी किसान ने जमीन देने के लिए आवेदन नहीं किया है। इसलिए अब तहसीलदार व ग्राम सचिवों किसानों के पास जाकर जमीन देने की अपील करेंगे।