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बच्चों ने सीखा बारिश को मापना

सीवी रमन विज्ञान क्लब, इको क्लब, हनी-बी नेटवर्क व हरियाणा विज्ञान मंच के सदस्यों ने विज्ञान प्रसार नेटवर्क नोएडा की ओर से मानकीकृत वर्षामापी यंत्र से वर्षा को मापना सीखा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 11:58 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 11:58 PM (IST)
बच्चों ने सीखा बारिश को मापना
बच्चों ने सीखा बारिश को मापना

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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सीवी रमन विज्ञान क्लब, इको क्लब, हनी-बी नेटवर्क व हरियाणा विज्ञान मंच के सदस्यों ने विज्ञान प्रसार नेटवर्क नोएडा की ओर से मानकीकृत वर्षामापी यंत्र से वर्षा को मापना सीखा। विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा के नेतृत्व में प्रेरणा, हर्षिता, रितिका, नाजिश, सुहानी, साइमा, पूजा, अंजली, नेहा पांडे, दिव्या, विकास, सौरभ, सुमित, सौरव छात्र-छात्राओं ने वर्षा को मापा।

इनसेट

क्या है वर्षामापी यंत्र

किस स्थान पर कितनी वर्षा हुई है, इसे मापने के लिए एक यंत्र काम में लाया जाता है, जिसे वर्षामापी यंत्र कहते हैं। यह एक प्लास्टिक का बेलनाकार बर्तन होता है जिसका व्यास 20 सेमी और इसकी ऊंचाई 50 सेमी होती है। इसके भीतर एक मापक बेलन रखा जाता है। इसे एक निश्चित समय में और निश्चित स्थान पर वर्षा में रखकर गिरे पानी की मात्रा को माप लिया जाता है। वर्षामापक कई तरह का होता है। अलग अलग तरीके से समझने के लिए वर्षा इंच, सेंटीमीटर या मिलीमीटर में मापी जाती है। इसके ऊपर एक कीप लगी रहती है। वर्षा का पानी कीप से बोतल में भर जाता है तथा बाद में पानी को मापक सिलेंडर द्वारा माप लिया जाता है। इस यंत्र को खुले स्थान में रखते हैं, ताकि वर्षा के पानी के कीप में गिरने मे किसी प्रकार की रुकावट न हो। और यह भी ध्यान रखा जाता है की आसपास कोई भवन या ऊंचा वृक्ष न हो जो वर्षा के गिरने में रुकावट बने।


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