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गीता को अनुसरण नहीं करते इसलिए बीपी, शुगर और आत्महत्याएं बढ़ रही हैं : कंवर पाल

कर्म करो फल की इच्छा मत करो। गीता ये ही संदेश देती हैं मगर समाज में कर्म करने से पहले की फल की इच्छा हो रही हैं। इच्छा पूरी नहीं होने पर लोग डिप्रेशन बीपी शुगर जैसी बीमारी व आत्महत्या की घटना बढ़ रही है। केवल कर्म पर फोकस करने पर ये बीमार खत्म हो जाएगी। गीता जंयती पर आयोजित कार्यक्रम में उक्त शब्द शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 08:10 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 08:10 AM (IST)
गीता को अनुसरण नहीं करते इसलिए बीपी, शुगर और आत्महत्याएं बढ़ रही हैं : कंवर पाल
गीता को अनुसरण नहीं करते इसलिए बीपी, शुगर और आत्महत्याएं बढ़ रही हैं : कंवर पाल

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कर्म करो फल की इच्छा मत करो। गीता ये ही संदेश देती हैं, मगर समाज में कर्म करने से पहले की फल की इच्छा हो रही हैं। इच्छा पूरी नहीं होने पर लोग डिप्रेशन, बीपी, शुगर जैसी बीमारी व आत्महत्या की घटना बढ़ रही है। केवल कर्म पर फोकस करने पर ये बीमार खत्म हो जाएगी। गीता जंयती पर आयोजित कार्यक्रम में उक्त शब्द शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहे। कार्यक्रम में आए बच्चों को संदेश दिया कि उनको गीता को मन से जरूर पढ़ना चाहिए और उसका अनुशरण भी करें। हमारे समाज में लोग उल्टा करते हैं। बढ़ापे आने पर गीता पढ़ते हैं। अनुसरण का समय भी मिलता, जिनको मिलता है वह पालन नहीं करते। इसलिए बाल्यकाल में ही गीता का अध्यन करना जरूरी है। यहीं से बेस तैयार होता है। ऐसे बच्चे जीवन में बहुत आगे बढ़ेंगे ये मेरा यकीन है। जीवन में सच्चे मन से कर्म करने वाले ही आगे बढ़ते हैं। इनसेट

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गीता को पाठयक्रम में शामिल करने पर करेंगे चर्चा :

गीता को बच्चों के पाठयक्रम में शामिल का इशारा किया। इस पर सवाल करने पर उनका कहना है कि गीता पाठयक्रम में शामिल हो सकता है। सभी समस्याओं को हल इस पवित्र ग्रंथ में है। इस बारे में पहले चर्चा की जाएगी। उसके बाद ही हरी झंडी मिलेगी। इनसेट

पराली जलाना व प्रदूषण फैलाना भी अर्धम

कंवर पाल ने कहा कि खेतों में पराली जलाना, औद्योगिक इकाईयों से प्रदूषण फैलाना, पराली जलाना व जल को नष्ट करना एवं गंदा करना भी अधर्म है। जीवन में किसी वस्तु की जितनी जरूरत है तो वह धर्म है और ज्यादा लेना या बेकार करना अधर्म है। पेड़ लगाने व पेड़ की रक्षा करने से पर्यावरण की सुरक्षा होती है। यदि किसी व्यक्ति को लगें कि यह कार्य जनता के हित में है तो धर्म है और कोई कार्य यदि जनता का अहित करता है तो अधर्म है।


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