121 जेबीटी को पदोन्नति देकर स्कूल अलॉट करना भूला शिक्षा विभाग
पांच माह से जेबीटी से टीजीटी संस्कृत बने शिक्षकों को है स्कूल का इंतजार पहले आचार संहिता के चक्कर में उलझ कर रहा गया था मामला
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : शिक्षा विभाग प्रदेश के 121 जेबीटी शिक्षकों को पदोन्नति देकर स्टेशन देना भूल गया। जेबीटी से टीजीटी संस्कृत बने शिक्षक स्टेशन जारी करने के लिए निदेशालय के चक्कर काट रहे हैं। इस बारे में वे अधिकारियों से भी मिले परंतु अभी तक उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। टीजीटी होते हुए भी शिक्षक पांच माह से प्राइमरी स्कूलों में ही पढ़ा रहे हैं। शिक्षकों को ये भी डर सता रहा है कि यदि विधानसभा चुनावों को लेकर आचार संहिता लग गई तो उन्हें फिर सेंटर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
शिक्षा विभाग ने लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश के 121 जेबीटी शिक्षकों को मार्च माह में पदोन्नत कर टीजीटी संस्कृत बना दिया था लेकिन पांच महीने बीतने पर भी उनको आज तक स्टेशन नहीं दिए गए। उनसे लोकसभा चुनाव से पहले दो बार स्टेशन भी भरवा लिए गए थे। अध्यापकों को लगा कि पदोन्नति के बाद आजकल में ही नए स्टेशन अलॉट हो जाएंगे लेकिन जैसे ही बात आगे बढ़ी तो आचार संहिता लग गई। जेबीटी अध्यापकों को पदोन्नत होने के बाद भी स्टेशन यानी नए स्कूल नहीं मिल पाए। शिक्षा विभाग चाहता तो चुनाव आयोग से अनुमति लेकर इनको स्टेशन दे सकता था क्योंकि सारी प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी थी, सिर्फ स्टेशन देना बाकी था। लेकिन शिक्षा विभाग ने चुनाव संहिता की बात कहकर स्टेशन देने से मना कर दिया। अब जबकि चुनाव संपन्न हुए भी करीब दो माह होने को हैं तो पदोन्नत हुए अध्यापकों के सब्र का बांध टूटने लगा है। उन्होंने निदेशालय के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। विभिन्न शिक्षक संगठनों के माध्यम से अपनी बात अधिकारियों तक पहुंचाई लेकिन शिक्षा विभाग के कान पर जूं नहीं रेंग रही। अधिकारी नहीं देते सही जवाब
जेबीटी से पीजीटी संस्कृत पर पदोन्नत हुए शिक्षक महेंद्र सिंह, मनीष कुमार, मीनू, रजनी, वंदना व अन्य का कहना है कि पांच माह बाद भी उन्हें स्टेशन अलॉट नहीं किया जाना इस बात का सुबूत है कि शिक्षा विभाग काम में गंभीरता नहीं दिखा रहा। इस बारे में अधिकारियों से बात की जाती है तो उचित जवाब नहीं मिलता। हर बार एक ही जवाब मिलता है कि जल्द ही स्टेशन अलॉट कर दिया जाएगा। पॉलिसी मैटर हो सकता है : डीईईओ
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी मदन लाल चोपड़ा का कहना है कि पदोन्नति के बाद टीजीटी संस्कृत को स्कूल अलॉट करने में कुछ पॉलिसी मैटर होगा। इसके अलावा अन्य कारण भी हो सकता है। वैसे जिन शिक्षकों को पदोन्नति मिलती है उन्हें स्कूल अलॉट हो ही जाते हैं।