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किसी पर क्रोध न करना ही क्षमा का रूप : सुनीता

श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर रेस्ट हाउस रोड के प्रांगण में ब्रह्मचारिणी सुनीता दीदी के सानिध्य में दशलक्षण पर्व का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंदिर संरक्षक आरके जैन, सुमत प्रसाद जैन व गिरीराज स्वरूप जैन ने की तथा संचालन सहसचिव मुकेश जैन ने किया। प्रधान अजय जैन व महामंत्री पुनीत गोल्डी जैन विशेष रूप से उपस्थित रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 05:16 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 12:13 AM (IST)
किसी पर क्रोध न करना ही क्षमा का रूप : सुनीता
किसी पर क्रोध न करना ही क्षमा का रूप : सुनीता

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर रेस्ट हाउस रोड के प्रांगण में ब्रह्मचारिणी सुनीता दीदी के सानिध्य में दशलक्षण पर्व का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंदिर संरक्षक आरके जैन, सुमत प्रसाद जैन व गिरीराज स्वरूप जैन ने की तथा संचालन सहसचिव मुकेश जैन ने किया। प्रधान अजय जैन व महामंत्री पुनीत गोल्डी जैन विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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संगीता दीदी ने कहा कि प्रर्यूषण की महत्व से परिचित होने के लिए अंतर आत्मा की गहराई तक पहुंचने की आवश्यक्ता होती है। पर्यूषण पर्व जैन धर्म के आध्यात्मिक पर्व है। जैन धर्म जन-जन का धर्म है, अत: यह पर्व भी जन-जन का है और इसका लाभ भी सभी को मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो चारों तरफ से अज्ञान के ताप से बचाए उसे ही प्रर्यूषण कहते हैं। कुल दस दिशाएं स्थित हैं, इसी प्रकार हमारी आत्मा के चारों तरफ उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आ¨कचन और ब्रह्मचर्य आदि दस दिशाएं हैं। क्षमा जीवन की धरती है और ब्रह्मचर्य जीवन का आकाश है। धरती किसी पर भी क्रोध नहीं करती, आकाश किसी को स्थान देने से मना नहीं करता, उसी प्रकार धर्म का प्रभाव क्षमा से होता है।


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