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हाउस में गूंजा वीआइपी रोड के भष्ट्राचार का मुद्दा, होगी विजिलेंस जांच

वीआइपी रोड (प्यारा चौक से नेहरू पार्क तक) को चौड़ीकरण में बिना अनुमति के राशि बढ़ाने के मामला हाउस की मीटिग में गूंजा। पार्षदों ने इस पर अधिकारियों को घेरा। सीएम विडों पर भी शिकायत डालने पर कार्रवाई न होने व आरटीआइ में जानकारी देने के भी गंभीर आरोप लगाए। इस मामले की विजिलेंस से जांच करवाने की मांग की गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 06:10 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 06:40 AM (IST)
हाउस में गूंजा वीआइपी रोड के भष्ट्राचार का मुद्दा, होगी विजिलेंस जांच
हाउस में गूंजा वीआइपी रोड के भष्ट्राचार का मुद्दा, होगी विजिलेंस जांच

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : वीआइपी रोड (प्यारा चौक से नेहरू पार्क तक) को चौड़ीकरण में बिना अनुमति के राशि बढ़ाने के मामला हाउस की मीटिग में गूंजा। पार्षदों ने इस पर अधिकारियों को घेरा। सीएम विडों पर भी शिकायत डालने पर कार्रवाई न होने व आरटीआइ में जानकारी देने के भी गंभीर आरोप लगाए। इस मामले की विजिलेंस से जांच करवाने की मांग की गई। डीसी मुकुल कुमार ने जांच का आश्वासन देकर पार्षद शांत किए।

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मिलीभगत है अधिकारियों बिना अनुमति कैसे बढ़ाई रकम :

वार्ड चार के पार्षद देवेंद्र सिंह ने हाउस को बताया कि जिस समय टेंडर मांगा गया था, उस समय कार्य की लागत करीब 80 लाख बताई गई थी, लेकिन इस कार्य की तकनीकी स्वीकृति नहीं थी। बिना तकनीकी स्वीकृति के कार्य की लागत नहीं बढ़ाई जा सकती। टेंडर खुलने के बाद शाखा के कुछ अधिकारियों ने तकनीकी स्वीकृति लेने के लिए मुख्य अभियंता पंचकूला को फाइल भेजी। इसमें 72 लाख रुपये की स्वीकृति मिली। उसके बाद तकनीकी शाखा ने ठेकेदारों के साथ मिलीभगत करके लागत 72 लाख से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये कर दी गई। आरोप लगाया कि इस कार्य का रिवाइस अनुमान नियमों के खिलाफ जाकर फर्जी कागजातों के आधार पर किया गया। इससे सरकार को 30 से 40 लाख रुपए का नुकसान है। ये तो 92 लाख ये विकसित है फिर पैसे क्यों :

वार्ड 17 ( पुराना 14 वार्ड) के पार्क को विकसित करने के लिए हाउस में अधिकारियों ने बताया कि इस पर एक करोड़ पांच लाख रुपये खर्च होंगे। ये सुनकर वार्ड की पाषर्द वीना शर्मा ने माइक संभाला और कहा कि ये पार्क तो पहले से विकसित है। ये पैसे दूसरी जगह खर्च किया जाए। तभी पार्षद निर्मला चौहान ने कहा कि ये पार्क पहले उनके वार्ड में था। 92 लाख रुपये से ज्यादा में इसको विकसित किया गया। अब अधिकारी बताए कि एक करोड़ पांच लाख रुपए में इस पार्क में क्या कार्य करवाएंगे। इस पर अधिकारी सन्न रह गए। बाद में जांच के लिए कमेटी का गठन की बात रखी गई।


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