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मुख्य सचिव और एनएचएआइ अधिकारियों डेढ़ घंटे की बातचीत बेनतीजा

कलानौर-कैल बाईपास के लिए अधिग्रहित 425 एकड़ जमीन के बढ़े हुए मुआवजे पर मुख्य सचिव राजेश खुल्लर से किसानों की बातचीत बेनतीजा रही। इस मुद्दे पर किसानों के प्रतिनिधिमंडल एनएचएआई अधिकारियों व मुख्य सचिव के साथ करीब डेढ़ घंटे चली।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 09:01 AM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 09:01 AM (IST)
मुख्य सचिव और एनएचएआइ अधिकारियों डेढ़ घंटे की बातचीत बेनतीजा
मुख्य सचिव और एनएचएआइ अधिकारियों डेढ़ घंटे की बातचीत बेनतीजा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कलानौर-कैल बाइपास के लिए अधिग्रहित 425 एकड़ जमीन के बढ़े हुए मुआवजे पर मुख्य सचिव राजेश खुल्लर से किसानों की बातचीत बेनतीजा रही। इस मुद्दे पर किसानों के प्रतिनिधिमंडल, एनएचएआई अधिकारियों व मुख्य सचिव के साथ करीब डेढ़ घंटे चली। इस दौरान एनएचएआई अधिकारियों ने अपना पक्ष रखा, लेकिन किसान व मुख्य सचिव संतुष्ट नहीं हुए। बाद में 8 जून तक सभी संबंधित दस्तावेज प्रेषित करने के आदेश दिए गए। 8 जून को ही इसपर कोई निर्णय लिया जा सकता है। उधर, इस मामले को लेकर किसानों की महापंचायत आज खुंडेवाला गुरुद्वारा में तय है। इसमें प्रदेश भर के किसान भाग लेंगे। बातचीत के दौरान जिला उपायुक्त आमना तस्नीम भी साथ रही। इनसेट

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10 दिन से धरना जारी

जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर 28 गावों के किसानों की महापंचायत 27 मई को खुंडेवाला गुरुद्वारा के पास हुई थी। इस दौरान बातचीत सिरे न चढ़ने के कारण किसानों ने छह जून तक धरने का ऐलान कर कर दिया। छह को नेशनल हाइवे के किनारे ही किसानों की महा पंचायत भी कॉल है। अधिक से अधिक किसानों से संपर्क के लिए बाइपास आंदोलन कमेटी का भी गठन किया गया है। कलानौर-कैल बाइपास के लिए अधिग्रहित 425 एकड़ जमीन के मुआवजे के लिए खुंडेवाला गुरुद्वारा के पास हुई महापंचायत में प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत बेनतीजा रही थी। उसी दिन से किसान धरने पर बैठे हुए हैं। नसेट

किसानों का ये आरोप

प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी व भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव हरपाल सुढल का कहना है कि सरकार व एनएचएआई अधिकारियों की अनदेखी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। धरने पर बैठे किसान बीमार होने लगे हैं, लेकिन सरकार व प्रशासन की ओर से सकारात्मक बातचीत नहीं की जा रही है। उनके मुताबिक अक्टूबर-2018 में यह केस फाइनल हो चुका है। लेकिन एनएचएआई ने अब तक किसानों को मुआवजा नहीं दिया है। जबकि यह किसानों का अधिकार है। अधिकारियों की नियत में खोट में है। किसानों ने मजबूरी में आंदोलन की राह पकड़नी पड़ी है। इनसेट

यह है मामला

वर्ष 2011 में कलानौर-पंचुकला बाइपास के लिए जमीन का अधिग्रहण किया। यमुना नगर की सीमा में यह कैल गांव तक है। करीब 425 एकड़ जमीन एक्वायर की गई थी। कैल से कलानौर तक के 23 किलोमीटर लंबे बाईपास पर 470 करोड़ रुपए का खर्च आया है। जनवरी 2013 में अवार्ड हुआ था। सामान्य जमीन का 25 लाख रुपये प्रति एकड़, प्राइम लैंड का 30 लाख व नगर निगम एरिया में आई जमीन का मुआवजा 35 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया था। उसके बाद किसान कोर्ट में चले गए। काफी संघर्ष के बाद कोर्ट ने साढे 42 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा तय किया। मतलब बढ़े हुए साढे़ सात लाख, साढे़ 12 लाख व साढे 17 लाख रुपये के लिए किसान आंदोलनरत हैं।

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