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देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र यहां हुआ स्थापित, 14वीं शताब्दी का दिया जवाब

देश का सबसे बड़ा 30 फीट ऊंचा अशोक चक्र यमुनानगर के टोपरा कलां गांव के अशोका इडिक्ट पार्क में स्थापित किया गया है। इसका उद्घाटन एक माह बाद किया जाएगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 09:06 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 11:30 PM (IST)
देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र यहां हुआ स्थापित, 14वीं शताब्दी का दिया जवाब
देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र यहां हुआ स्थापित, 14वीं शताब्दी का दिया जवाब

जेएनएन, यमुनानगर। देश का सबसे बड़ा 30 फीट ऊंचा अशोक चक्र टोपरा कलां गांव के अशोका इडिक्ट पार्क में स्थापित कर दिया गया है। हालांकि इसका विधिवत उद्घाटन एक माह बाद किया जाएगा। बता दें, स्तंभ को 14वीं शताब्दी में फिरोजशाह तुगलक उठाकर दिल्ली कोटला में ले गया था। उसी का जवाब देने के लिए यहां पर देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र लगाया है।

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ये है इसकी विशेषता

द बुद्धिष्ट फोरम के पदाधिकारी सिद्धार्थ गौरी बताते हैं कि अशोक चक्र राष्ट्रीय चिह्न भी है। इस्लामिक शासकों ने हमारा इतिहास छीनने का प्रयास किया था। युवाओं को इतिहास की जानकारी हो इसके लिए गांव में चक्र स्थापित किया जा रहा है। इसकी ऊंचाई 30 फीट, वजन 6 टन, रंग गोल्डन और 24 तिल्ली हैं। इसे दो क्रेन की मदद से सोमवार को पडस्टल पर रखा गया। 12 कारीगरों ने इसे छह माह में तैयार किया है। इस पर 30 लाख से ज्यादा का खर्च हो चुका है।

ये भी होगा पार्क में

सम्राट अशोक के समय में लक्कड़ के भवनों का निर्माण होता था। इडिक्ट पार्क में आठ लक्कड़ के दो मंजिला भवन तैयार होंगे। कोनदाना चेत्य महाराष्ट्र के डिजाइन में बनने वाले भवनों का एरिया आठ हजार वर्ग गज तय किया गया है। ये प्रोजेक्ट 60 एकड़ जमीन पर तैयार होगा। तीन मेडिटेशन भवन, दो में प्राचीन मंदिर, एक म्यूजियम, 12 बुर्ज और दीवार लक्कड़ से तैयार होगी। तीन बौद्ध स्तूप, 15 अशोक स्तंभ, 10 शिलालेख, देश में सबसे अधिक ऊंचाई 30 फीट का शेर के चार मुंह वाला राष्ट्र चिन्ह यहां पर स्थापित किया जाएगा।

अशोक स्तंभ की रेपलिका स्थापित होंगे

अशोक चक्र स्थापित के बाद फोरम गांव में अशोक स्तंभ की रेपलिका स्थापित किए जाएंगे। भारत सहित विदेशों में सात स्तंभ व 12 शिलालेख हैं। इन सभी की रेपलिका यहां पर स्थापित किए जाएंगे। सात स्तंभ भारत में है, जो उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दो नेपाल में हैं। 12 शिलालेख ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, पाकिस्तान में शाहबास, मानसेर और अफगानिस्तान के कंधार में है।

हमारा सौभाग्य : सरपंच

गांव के सरपंच मनीष कुमार का कहना है कि ये हमारे गांव का सौभाग्य की बात है कि अब उनके गांव की पहचान विदेशों तक होगी।

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