भारतीय संस्कृति मानव को मानव मूल्यों का बोध कराने में सक्षम : भारती
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से हनुमान गेट स्थित आश्रम में आयोजित साप्ताहिक सतसंग कार्यक्रम किया गया। साध्वी मुमुक्षा भारती ने कहा कि कि हमारे वेदो में कहा गया है संपूर्ण विश्व में सर्वप्रथम और सर्व श्रेष्ठ यदि कोई है तो वह संस्कृति है, क्योंकि आध्यातम का बोध कराने वाले अवतार इसी भूमि पर हुए है।
जागरण संवाददाता, जगाधरी : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से हनुमान गेट स्थित आश्रम में आयोजित साप्ताहिक सतसंग कार्यक्रम किया गया। साध्वी मुमुक्षा भारती ने कहा कि कि हमारे वेदो में कहा गया है संपूर्ण विश्व में सर्वप्रथम और सर्व श्रेष्ठ यदि कोई है तो वह संस्कृति है, क्योंकि आध्यातम का बोध कराने वाले अवतार इसी भूमि पर हुए है। भारतीय संस्कृति मानव को मानव मुल्यों का बोध कराने में सक्षम है। आज पाश्चात्य संस्कृति के गुलाम होकर मानव दिनभर कितने गलत कार्य करता है मानव को इसका आभास मात्र भी नहीं है। आज हर कोई सुखमय जीवन को जीना चाहता है, लेकिन अपनी संस्कृति को छोड कर हम सुख की खोज नहीं कर सकते। संस्कारों से हीन आज हमारा युवा वर्ग पथ भ्रष्ट होता जा रहा है। युवाओं के आदर्श जहां पर विवेकानंद जी, शिवा जी मराठा, चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे महान नायक होने चाहिए थे, वही पर आज उनके आदर्श अभिनेता है। उनका मार्ग दर्शन करने वाले जहां पर बुजूर्ग माता पिता होने चहिए आज उनका मार्गदर्शन टीवी चैनल्स कर रहे है। अमेरिका में एक सर्वे किया गया तो पता चला कि अधिकतर लोग अपने जीवन में कुकर्म का कारण टीवी को ही मानते है। आज वर्तमान समय में यदि हमें संस्कारों को अपने जीवन में धारण करना है तो आवश्यकता है। संस्कृति से जुड़ने की तभी हम अपने देश, अपने समाज के विषय में सोच सकते है। यह तभी संभव हो सकता है जब हम संस्कृति की नींव ब्रह्मज्ञान पर रखेंगे। यही मानव को मानव बनाने में सक्षम है। ब्रह्मज्ञान की प्रक्रिया पूर्ण संत के मिलने के बाद शुरु होती है। ईश्वर का साक्षात्कार अनुभव ही पूर्ण संत की निशानी है।