दो मिनट में धू-धूकर राख हो गए ढाई लाख से बने रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले
दशानन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले धू-धूकर जले। इस बार शहर का सबसे ऊंचा रावण का पुतला 75 फुट और कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले 70-70 फुट ऊंचे बनाए थे। तीनों को बनाने पर 25 लाख रुपये खर्च आया। इसके अलावा करीब 95 हजार रुपये की आतिशबाजी इनमें लगाई गई थी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : दशानन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले धू-धूकर जले। इस बार शहर का सबसे ऊंचा रावण का पुतला 75 फुट और कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले 70-70 फुट ऊंचे बनाए थे। तीनों को बनाने पर ढाई लाख रुपये खर्च आया। इसके अलावा करीब 95 हजार रुपये की आतिशबाजी इनमें लगाई गई थी। तीनों पुतले मात्र दो मिनट में जलकर राख हो गए। जैसे ही रावण दहन हुआ लोगों ने जय श्रीराम के जयकारे लगाकर आसपास के वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसके अलावा सिटी सेंटर ग्राउंड, पेपर मिल ग्राउंड, जगाधरी वर्कशाप के रेलवे ग्राउंड, बिलासपुर, सरस्वती नगर, साढौरा, रादौर और जगाधरी के मिल्ट्री ग्राउंड में भी बड़े आयोजन रावण दहन किया गया। आयोजन स्थल भीड़ से खचाखच भरा रहा। दहन से पूर्व भगवान राम और रावण के बीच युद्ध हुआ। आखिर में जीत सच्चाई की हुई और भगवान राम ने रावण का वध कर दिया।
यहां कल ही जल गया दशानन
सरस्वतीनगर में जिले का सबसे ऊंचा सौ फुट ऊंचा दशानन बनाया गया था, लेकिन वे¨ल्डग की ¨चगारी से एक दिन पहले ही जल गया। दशहरा पर्व को लेकर लोगों में उदासी का माहौल न बने इसलिए रात को ही चंडीगढ़ व अन्य जगहों से सामान मंगवाया गया। एक रात में ही कर्मचारियों ने दोबारा रावण के पुतले को तैयार किया। सुबह से ही खाली मैदानों में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले लगाने शुरू कर दिए गए। पुतलों को ले जाने का क्रम दोपहर तक चलता रहा। पुतलों को देखने के लिए लोग सुबह से ही पहुंचने लगे।
आतिशबाजी रही आकर्षण का केंद्र
पुतला दहन से पूर्व मैदान में जमकर आतिशबाजी हुई। दहन होते ही लोगों में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। किसी को घर जाने की जल्दी थी तो कोई पुतले से लकड़ी उठाने को प्रयासरत था। हजारों की भीड़ थी। व्यवस्था संभालने में पुलिस को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। आयोजन स्थल पर पुलिसकर्मियों के अलावा दमकल केंद्र की गाड़ी भी खड़ी गई थी। साथ ही रेत से भरी बाल्टी रखी गई थी।
दहन होते ही जाम की स्थिति
दशहरा ग्राउंड में दहन होते ही मॉडल टाउन में जाम की स्थिति हो गई। दहन से पूर्व तो पुलिसकर्मियों ने व्यवस्था संभाल रखी थी। जैसे ही दहन हुआ तो पुलिस कर्मी भी वहां से निकल लिए। यातायात संभालने में रुचि नहीं दिखाई। इस कारण वाहन चालकों को निकलने पर दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कार चालक जाम में फंसे रहे, जबकि दोपहिया वाहन चालक साइड से निकल गए।
रावण के साथ सेल्फी का क्रेज
जैसे ही लंकेश दशहरा ग्राउंड में पहुंचे तो उनके साथ सेल्फी लेने के लिए युवाओं की भीड़ लग गई। उनसे साथ कई युवाओं ने अपने मोबाइल से सेल्फी लेकर इन पलों को यादगार बनाया। इसके साथ ही कई लोगों ने श्रीराम के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लिया। जैसे ही पुतले जले तो लोगों में जली हुई लकड़ी उठाने की होड़ सी मच गई। लकड़ी उठाने के लिए सैकड़ों लोग एक साथ पुतलों की तरफ टूट पड़े। लोगों ने अपनी जान को भी जोखिम में डाल दिया। क्योंकि जब लकड़ी उठा रहे थे तब धमाकों के साथ पटाखे बज रहे थे।
मेले जैसा माहौल रहा
आयोजन स्थल पर मेले जैसा माहौल रहा। आसपास खाद्य पदार्थो की दुकानें सजी हुई थी। सामान लेने में बच्चे आगे थे। बच्चों ने खिलौने खरीदे तो लड़कियों और महिलाओं ने खाद्य पदार्थों का लुत्फ उठाया। पेपर मिल में भी यही स्थिति रही। यहां भी काफी दुकानें लगी हुई थी। फायर ब्रिगेड की गाड़ी के साथ एंबुलेंस खड़ी की गई थी। हर एंबुलेंस पर चिकित्सक तैनात किया गया था। इसके साथ ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी पर छह-छह कर्मी तैनात किए गए थे। पांच सौ पुलिसकर्मियों रहे तैनात
त्योहार के दौरान करीब पांच सौ पुलिस कर्मियों पर सुरक्षा का जिम्मा रहा। अकेले दशहरा ग्राउंड में 50 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। इसके अलावा पेपर मिल, सिटी सेंटर, जगाधरी वर्कशाप, आइटीआई के नजदीक काफी संख्या में सुरक्षा कर्मी लगाए गए। दोपहर को ही पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी संभाल ली थी। उस वक्त यहां लोग कम और पुलिस अधिक नजर आए। शाम के समय जब भीड़ हुई तो पुलिस की संख्या इनके सामने कम पड़ गई।
मेले के दौरान लोगों की जेब भी कटी
दशहरा ग्राउंड में मेले के दौरान कई लोगों की जेब भी कट गई। सरोजनी कॉलोनी निवासी अशोक ने बताया कि उसके बच्चों को लेकर छोटा भाई दशहरा ग्राउंड में मेला देखने के लिए गया था। जैसे ही रावण दहन हुआ जेबकतरों ने मौका पाते ही उसकी जेब काट ली। पर्स में करीब चार हजार रुपये व अन्य जरूरी दस्तावेज थे।