जांच के नाम पर खानापूर्ति, प्रताड़ना के केस में फंसे पुलिसकर्मियों को किया लाइन हाजिर
जिन पुलिसकर्मियों और महिला की प्रताड़ना से तंग आकर पोल्ट्री फार्म संचालक कमलदीप ने खुद को आग लगा जान देने की कोशिश की थी। उन पर कार्रवाई के बजाय खानापूर्ति हो रही है। पहले चुनाव का हवाला देते हुए कार्रवाई की फाइल दबाए रखी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जिन पुलिसकर्मियों और महिला की प्रताड़ना से तंग आकर पोल्ट्री फार्म संचालक कमलदीप ने खुद को आग लगा जान देने की कोशिश की थी। उन पर कार्रवाई के बजाय खानापूर्ति हो रही है। पहले चुनाव का हवाला देते हुए कार्रवाई की फाइल दबाए रखी। अब करीब एक माह बाद कार्रवाई के नाम पर आरोपित फर्कपुर थाना प्रभारी यशपाल नेहरा, पुलिसकर्मी जगदीप मोर, राजीव और महिला कर्मी आशा को लाइन हाजिर कर दिया। इस मामले में चार पुलिसकर्मियों समेत 11 पर 306, 511, 389, 120 बी के तहत केस दर्ज हुआ था। जांच के लिए एसआइटी भी गठित की गई थी। वहीं आग में झुलसे कमलजीत की हालत में अभी तक सुधार नहीं आया है।
यह हुआ था मामला
गत 26 सितंबर को विजय कॉलोनी के 50 वर्षीय कमलदीप ने तेल छिड़ककर खुद को आग लगा ली। झुलसी अवस्था में उसे पीजीआइ रेफर कर दिया गया था। इसी दिन शाम को उसकी कॉलोनी की ही महिला की शिकायत पर पुलिस ने कमलदीप, उसके बेटे उदय सिंह, दोस्त जितेंद्र और डिपल पर दुष्कर्म, धोखाधड़ी और साजिश रचने की धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। आग में झुलसे कमलदीप के भी मजिस्ट्रेट ने बयान लिए। उसके बयानों के आधार पर आरोप लगाने वाली महिला, उसके जेठ और उसका बेटा, फूफा, थाना प्रभारी फर्कपुर, एक महिला पुलिसकर्मी व चार अन्य पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ था।
यह था पुलिसकर्मियों पर आरोप
कमलदीप ने बयानों में कहा था कि 24 सितंबर की सुबह छह-सात बजे घर पर तीन-चार पुलिसकर्मी व एक महिला पुलिसकर्मी आए थे। वह उसे साथ लेकर गए थे। उनसे पूछा किसलिए, तो कुछ नहीं बताया। वह गाड़ी में लेकर चल पड़े। रास्ते में उन्होंने कमलदीप के दोस्त जितेंद्र और डिपल को भी बैठा लिया। थाने ले जाकर महिला की शिकायत के बारे में बताया था। महिला ने कमलदीप पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए शिकायत दी थी, जबकि उनका एरिया शहर यमुनानगर थाने में पड़ता है। इसके बावजूद भी पुलिसकर्मी उन्हें फर्कपुर थाने में लेकर गए थे। यहां पर थाना प्रभारी ने उन्हें 15 लाख रुपये महिला को देकर मामला निपटाने का दबाव बनाया था। वहीं यशपाल नेहरा का कहना था कि 24 सितंबर को महिला की शिकायत आई थी। वह आरोपितों को लेकर आए। दोनों पक्षों के लोग पहुंचे। उन लोगों ने अलग खड़े होकर आपस में बात की और लिखित में समय लेकर गए थे। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया था।
केस दर्ज होने के बाद तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए
एडवोकेट अमनदीप ने बताया कि इस तरह केस में पुलिस की जांच जरूरी है। तुरंत इसमें गिरफ्तारी नहीं हो सकती। जांच के दौरान ही सही पता लगेगा कि किस तरह के हालातों में घटना हुई है। यह सब जांच का विषय है।
पहले भी जांच के नाम पर बनी एसआइटी नहीं सुलझा सकी केस
इससे पहले भी कई केसों की जांच के लिए एसआइटी बनाई गई थी, लेकिन वह केस अभी तक अनसुलझे हैं। आठ हत्याएं करने वाला दोषी संजीव पैरोल पर आने के बाद फरार हो गया। बिलासपुर डीएसपी के नेतृत्व में एसआइटी बनी, लेकिन करीब दो साल से वह पकड़ में नहीं आ सका। गांव गुमथला के सरपंच कृष्ण मेहता से लूट के आरोप में सीआइए वन के इंचार्ज महावीर सिंह, तत्कालीन थाना प्रभारी ओमप्रकाश समेत कई अन्य पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ था। डीजीपी के आदेश पर अंबाला डीएसपी के नेतृत्व में एसआइटी बनी, लेकिन केस अभी तक अनसुलझा है। इसके अलावा रोजी सिक्का मर्डर केस में आरोपित राजेंद्र सिक्का की गिरफ्तारी के लिए भी एसआइटी बनी है, लेकिन वह अभी तक पकड़ में नहीं आया। एसआइटी इंचार्ज व डीएसपी हेडक्वार्टर सुभाष चंद ने बताया कि जिन पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ था। उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया है। आगे तफ्तीश चल रही है। एक सप्ताह के अंदर यह पूरी हो जाएगी। इसमें जो भी आरोपित होंगे, उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिसकर्मियों पर आरोप लगे हैं, इसलिए ही उन्हें लाइन हाजिर किया गया है। महिला की ओर से शिकायत पर केस दर्ज हुआ है। उसकी भी जांच चल रही है।