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कपालमोचन मेले पर दिखा सुलतानपुर लोधी और करतारपुर कॉरिडोर का असर

कपालमोचन में चल रहे पांच दिवसीय राज्यस्तरीय मेले के दूसरे दिन शनिवार को उम्मीद के मुताबिक श्रद्धालु नहीं पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं का आंकड़ा एक लाख को भी बड़ी मुश्किल से छू सका।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 08:00 AM (IST)
कपालमोचन मेले पर दिखा सुलतानपुर लोधी और करतारपुर कॉरिडोर का असर
कपालमोचन मेले पर दिखा सुलतानपुर लोधी और करतारपुर कॉरिडोर का असर

राजेश कुमार, कपालमोचन कपालमोचन में चल रहे पांच दिवसीय राज्यस्तरीय मेले के दूसरे दिन शनिवार को उम्मीद के मुताबिक श्रद्धालु नहीं पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं का आंकड़ा एक लाख को भी बड़ी मुश्किल से छू सका। श्रद्धालु कम आने से प्रशासनिक अधिकारी भी परेशान दिखे, जिन सड़कों पर हर साल मेले के दौरान पांव रखने तक की जगह नहीं थी, वहां खाली दिख रहा है, जबकि प्रशासन की तरफ से मेले के लिए प्रबंध भी पुख्ता कर रखे हैं। कहां तो मेले में सात से आठ लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने के कयास लगाए जा रहे थे, तो कहां अब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने की भी उम्मीद नहीं लग रही।

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550वें प्रकाशोत्सव पर हो रहे दो बड़े आयोजन

इस साल गुरु नानक देव का 550वां प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा है। सुलतानपुर लोधी में गुरु नानक देव ने अपने जीवन का सबसे ज्यादा समय बिताया था। यहीं पर उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया था। इसलिए वहां पर 550वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम हो रहा है। उसमें देशभर से सिख समुदाय के लोग पहुंच रहे हैं। इतना ही नहीं रेलवे ने भी इस कार्यक्रम तक लोगों को पहुंचाने के लिए विशेष गाड़ियां चला रखी हैं। दूसरा डेरा बाबा नानक-श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ही इसका उद्घाटन किया। इसके माध्यम से हर रोज पांच हजार श्रद्धालु पाकिस्तान जाकर गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन बिना वीजा के कर सकेंगे। इससे कयास लगाया जा रहा है कि कपालमोचन मेला में आने की बजाया पंजाब के काफी श्रद्धालु सुलतानपुर लोधी व करतारपुर साहिब में चले गए, जिसका सीधा असर कपालमोचन मेला पर पड़ा है।

खाली पड़े हैं तंबू, सड़कों पर भी भीड़ नहीं

मेला आयोजन के लिए प्रशासन ने आसपास के किसानों की जमीन अधिग्रहण कर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए इसमें तंबू लगवाए हैं। जिन ठेकेदारों ने तंबू लगाने का ठेका लिया है वे अब माथे पर हाथ रख कर रो रहे हैं। उनका कहना है कि जो तंबू उन्होंने खेतों में लगा दिए हैं, उनमें आधे से ज्यादा खाली पड़े हैं। श्रद्धालुओं की कम संख्या को देखते हुए उन्होंने तो आधी जमीन पर तंबू ही नहीं लगाए। इसलिए उन्हें काफी घाटा होना दिख रहा है। ज्ञात हो कि मेले के दौरान श्रद्धालु पांच दिन तक यहां इन तंबुओं में ठहरते हैं। सड़कों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ बिल्कुल भी नहीं है। प्रशासनिक खंड के सामने जो प्रदर्शनी लगाई जाती थी उसमें भी लोग कम ही आ रहे हैं।

राम मंदिर पर आए फैसले का भी असर

अयोध्या में दशकों से चल रहे राम मंदिर विवाद पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया। मंदिर पर आए फैसले से लोगों को लगा कि मंदिर पर फैसला आने से एक समुदाय के लोग सड़क पर उतर सकते हैं। इंटरनेट सेवाएं बंद होने से लोगों के मन में डर ओर घर कर गया। लोगों ने सोचा कि रास्ते बंद हो जाएंगे, पता नहीं वे कपालमोचन तक पहुंच पाएंगे भी या नहीं। इस बारे में प्रशासनिक खंड में मौजूद अधिकारी भी बात करते नजर आए। अधिकारी बात कर रहे थे कि इस फैसले से मेला में श्रद्धालु कम आ सकते हैं।

उम्मीद के मुताबिक नहीं श्रद्धालु : नरेंद्र सिंह

कपालमोचन स्थित गुरुद्वारा पहली एवं दसवीं पातशाही के मैनेजर नरेंद्र सिंह ने बताया कि दो दिन के दौरान गत वर्ष के मुकाबले 20 प्रतिशत श्रद्धालु कम आए हैं। शनिवार रात पर सब निर्भर करेगा। यदि श्रद्धालू ज्यादा आए तो मेले में अच्छी भीड़ होगी। सुलतानपुर लोधी व करतारपुर कॉरिडोर पर आयोजन होने का भी मेले की भीड़ पर असर पड़ा है।


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