इंसान का पूजन चित्र से नहीं बल्कि चरित्र से होता : विजय
श्रीराम कला मंदिर के बैनर तले करेड़ा खुर्द गांव में कलाकारों ने दशरथ मरण- भरत मिलाप का मंचन किया। यमुनानगर विधायक घनश्याम दास के भाई विजय मानिकटाहला ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इंसान का पूजन चित्र से नहीं बल्कि उसके चरित्र से होता है। रामायण जीवन जीना सिखाती है। श्रीराम समूचे संसार के लिए आदर्श हैं। उनके पदचिन्हों का अनुगमन करके हम सब इहलोक और परलोक दोनों को सुधार सकते हैं। श्री रामचरितमानस के इस मार्मिक प्रसंग में श्रीराम, वैदेही सीता व यति लक्ष्मण निषादराज के साथ गंगातट पहुंचते हैं।
संवाद सहयोगी, जठलाना : श्रीराम कला मंदिर के बैनर तले करेड़ा खुर्द गांव में कलाकारों ने दशरथ मरण- भरत मिलाप का मंचन किया। यमुनानगर विधायक घनश्याम दास के भाई विजय मानिकटाहला ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इंसान का पूजन चित्र से नहीं बल्कि उसके चरित्र से होता है। रामायण जीवन जीना सिखाती है। श्रीराम समूचे संसार के लिए आदर्श हैं। उनके पदचिन्हों का अनुगमन करके हम सब इहलोक और परलोक दोनों को सुधार सकते हैं। श्री रामचरितमानस के इस मार्मिक प्रसंग में श्रीराम, वैदेही सीता व यति लक्ष्मण निषादराज के साथ गंगातट पहुंचते हैं। जहां केवट उन्हें नाव में गंगा पार कराने के लिए यह कहते हुए मना कर देता है कि आपकी चरण रज से जब एक शीला भी नारी का रूप धर सकती है तो प्रभु मेरी तो काठ की नाव है। मुझे चरण पखारने की आज्ञा दें तो आपको गंगा पार करा दूं। राम- केवट संवाद व गंगा पार का ये दृश्य इतना मार्मिक था कि पूरा पांडाल दर्शकों की करतल से गूंज उठा। उधर, राम वियोग में भूपति दशरथ अयोध्या में प्राण त्याग देते हैं।