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एचएसएससी ने तीन सौ किलोमीटर दूर बना दिए परीक्षा केंद्र, दुविधा में परीक्षार्थी

एचएसएससी ने क्लर्क के पेपर का सेंटर घर से ढाई सौ से तीन सौ किलोमीटर दूर बनाकर परीक्षार्थियों को दुविधा में डाल दिया है। परीक्षा केंद्र दूर बनने से वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि पेपर देने जाएं या नहीं। क्योंकि सुबह परीक्षा के वक्त पहुंचना हर किसी के लिए संभव नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 06:10 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 06:45 AM (IST)
एचएसएससी ने तीन सौ किलोमीटर दूर बना दिए परीक्षा केंद्र, दुविधा में परीक्षार्थी
एचएसएससी ने तीन सौ किलोमीटर दूर बना दिए परीक्षा केंद्र, दुविधा में परीक्षार्थी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : एचएसएससी ने क्लर्क के पेपर का सेंटर घर से ढाई सौ से तीन सौ किलोमीटर दूर बनाकर परीक्षार्थियों को दुविधा में डाल दिया है। परीक्षा केंद्र दूर बनने से वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि पेपर देने जाएं या नहीं। क्योंकि सुबह परीक्षा के वक्त पहुंचना हर किसी के लिए संभव नहीं है। उनका पेपर शाम को है, इस बात को लेकर चितित है कि इतनी दूर से घर वापस कैसे लौटेंगे। परीक्षार्थी मन ही मन एचएसएससी के अधिकारियों और सरकार को कोस रहे हैं।

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क्लर्क की परीक्षा 21, 22 और 23 सितंबर को तीन दिन होगी। 21 सितंबर को केवल शाम के चरण में परीक्षा होगी, परंतु इस परीक्षा का समय एचएसएसी ने दोपहर 4.30 बजे से छह बजे तक रखा है, जबकि 22 और 23 सितंबर को सुबह 10.30 से दोपहर 12 बजे और दोपहर तीन से 4.30 बजे तक है। ऐसे में सुबह की परीक्षा में 8.30 बजे और दोपहर को दो बजे एंट्री कर सकेंगे। यमुनानगर के 85 प्रतिशत परीक्षार्थियों का पेपर हिसार, जींद, नारनौल और फरीदाबाद जिलों में है। फरीदाबाद यमुनानगर से 230 किलोमीटर, नारनौल 330 किलोमीटर, जींद 160 किलोमीटर, हिसार 250 किलोमीटर, महेंद्रगढ़ तीन सौ किलोमीटर दूर है।

नहीं मिल रहे वाहन

पेपर देने वालों को सैकड़ों किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र पर समय पर पहुंचने की चिता सताने लगी है। सभी के पास अपने वाहन नहीं है। बाइक पर तो कोई इतनी दूर जाने की सोच भी नहीं रहा, इसलिए परीक्षार्थियों ने अपने दोस्तों और जान पहचान वालों से मिलकर किराये पर चलने वाली कारों व मिनी बसों की एडवांस बुकिग कर ली है। कार पर औसतन चार हजार रुपये खर्च आया है। क्योंकि मजबूरी को देखते हुए टैक्सी चालक भी इसका खूब फायदा उठा रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि अब युवाओं को किराये पर कार तक नहीं मिल रही है। ऐसे में वे सुबह पहली बस से चलकर भी आठ बजे तक परीक्षा देने नहीं पहुंच सकते।

अभिभावक बोले लड़कियों को लेकर कैसे जाएं

बलिद्र ने बताया कि उसकी बेटी की परीक्षा 22 सितंबर को नारनौल है। उसे अकेले भेज नहीं सकते, इसलिए उसे भी साथ जाना पड़ेगा। सुबह चलकर भी वहां परीक्षा के समय नहीं भेज सकते। बेटी का पेपर दिलाएं या नहीं इसे लेकर परेशान हैं। यदि नारनौल एक दिन पहले जाते हैं तो वहां रात को रहेंगे कहां। सैकड़ों रुपये किराया खर्च करके जाएंगे, इसके बाद एक हजार रुपये का कमरा लेना पड़ेगा। ऐसी दुविधा में बिलासपुर निवासी गौरव की भी है। उसने बताया कि उसने पहली बार किसी नौकरी के लिए आवेदन किया था। वह अंबाला, चंडीगढ़ और कुरुक्षेत्र तक तो गया है, लेकिन नारनौल आज तक नहीं गया। परीक्षा का आवेदन करने पर ही उसका खर्च मात्र सौ रुपये आया था, परंतु अब किराये व वहां रहने पर ही डेढ़ हजार से दो हजार रुपये खर्च आ जाएगा। क्योंकि हजारों छात्र जाएंगे इसलिए ये भी संभव नहीं है, उन्हें ठहरने के लिए वहां कमरा मिल जाएगा।


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