कार्यालयों से नदारद साहब, कैसे होगा शिक्षा विभाग का बेड़ा पार
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट बेहतर नहीं आ रहा है। कई सालों स
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट बेहतर नहीं आ रहा है। कई सालों से यमुनानगर इस मामले में 19वें नंबर पर अटका हुआ है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग हालात सुधारने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा। विभाग के उच्चाधिकारी ही अपने कार्यालय में नहीं मिलते। ऐसे में छोटे कर्मचारियों व टीचरों से क्या उम्मीद की जा सकती है। दैनिक जागरण की टीम शुक्रवार को शिक्षा विभाग के प्रमुख कार्यालयों का जायजा लिया।
दैनिक जागरण टीम सुबह 11. 21 बजे मॉडल टाउन स्थित जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पहुंची। यहां कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। राज मिस्त्री डीईओ आनंद चौधरी के कार्यालय के ठीक सामने काम कर रहे थे। उनकी कुर्सी को सफेद तौलिये से ढका हुआ था। राजमिस्त्री से पूछा कि आज डीईओ साहब नहीं आए क्या, उनका जवाब आया कि पता नहीं। तभी उनके कार्यालय के बाहर लगे एक नोटिस पर नजर पड़ी। इस पर लिखा था कि डीईओ 21 से 23 सितंबर तक छुट्टी पर हैं। उनकी गैर हाजिरी में जगाधरी के खंड शिक्षा अधिकारी जय ¨सह जुल्का उनके कार्य देखेंगे। डीईओ के साथ वाले कमरे में गए तो कुíसयां खाली थी, लेकिन एक कोने में रखे कंप्यूटर पर एक कर्मचारी बड़ी गंभीरता से काम कर रहा था। कुछ आगे बढ़े तो एक साहब अपना काम कर रहे थे, लेकिन पास बैठी एक महिला कर्मचारी उनसे बातों में व्यस्त थी।
एसएसए में भी खाली मिली कुíसयां
इसके बाद 11.30 बजे टीम कन्हैया साहेब चौक के पास स्थित सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय में पहुंची। यहां बने एक कार्यालय में एकमात्र महिला कर्मचारी बैठी थी। उन्होंने अपना एक पांव टेबल पर रखा हुआ था और कान पर फोन लगा हुआ था। उनकी बातों से लग रहा था कि वो किसी परिचित से बातचीत कर रही थी। अगला कार्यालय
सहायक परियोजना संयोजक है। परंतु कार्यालय में कोई नहीं था। उनसे अगला कार्यालय जिला परियोजना संयोजक का है। नेम प्लेट पर राजपाल भी लिखा हुआ है। पूछताछ में पता चला कि इनके पास हुडा स्थित कार्यालय का भी कार्यभार है।
गाड़ी खड़ी थी, लेकिन साहब का कुछ पता नहीं
11.44 बजे दैनिक जागरण टीम हुडा सेक्टर-18 स्थित जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पहुंची। कार्यालय परिसर में डीईईओ की गाड़ी खड़ी थी। जिस देखकर लग रहा था यहां तो साहब मिल ही जाएंगे। अंदर बढ़े तो डीईईओ कार्यालय के दरवाजे पर पर्दा डाला हुआ था। जिसे देखकर आभास हो गया कि यहां पर आज कोई नहीं है। कार्यालय के बाहर कुर्सी पर दो कर्मचारी बैठे थे। वे एंड्रायड फोन में बड़ी गंभीरता से कुछ देख रहे थे। पूछने पर एक कर्मचारी ने बताया कि उसे नहीं पता की आज साहब कहां है? सुबह से तो आए नहीं है। कब तक आएंगे कुछ कह नहीं सकते? ये पूछने पर की डीईईओ के बाद कार्यभार कौन देखता है तभी दूसरा कर्मचारी बीच में टोकते हुए कहने लगा आपको काम क्या है। फिर आपको बताएंगे की किस अधिकारी के पास जाना है। कुछ जरूरी काम हो तो बताओ वरना सोमवार को आ जाना। शनिवार को छुट्टी है।
बच्चों को पसंद नहीं आ रही खिचड़ी
इसी कार्यालय परिसर में ही राजकीय प्राथमिक पाठशाला भी है। कुछ बच्चे प्लेट में मिड डे मील का भोजन कर रहे थे तो कुछ नल के पास खड़े होकर अपनी प्लेट साफ कर रहे थे। टीम कार्यालय परिसर में पहुंची तो तीसरी व चौथी कक्षा के बच्चे गिल्ली डंडा खेल रहे थे। कई बच्चे पकड़न पकड़ाई खेल रहे थे। एक बच्चा चेहरे पर जोकर का मास्क लगाकर बच्चों को डरा रहा था। पेड़ की छाया में दो टीचरों बैठी हुई थी। दोनों दोपहर का भोजन कर रही थी। वे एक हाथ से खाना खा रही थी तो दूसरे हाथ से मोबाइल देख रही थी। तभी शिक्षा विभाग के आदेश याद आ गए। विभाग ने आदेश दिए थे कि अब स्कूल टाइम में कोई भी टीचर मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। उन्हें अपना मोबाइल ¨प्रसिपल कार्यालय में जमा कराना होगा, लेकिन दोनों टीचरों को देखकर लगा नहीं की आदेशों की पालना हो रही है। गिल्ली डंडा खेल रहे बच्चों से पूछा कि आज दोपहर के भोजन में में क्या खाया ? दो बच्चों ने जवाब दिया आज तो खिचड़ी बनी है लेकिन उन्होंने खाई नहीं, क्योंकि खिचड़ी उन्हें अच्छी नहीं लगती।