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यहां दल-बदलुओं को भी खूब चला सिक्का

यमुनानगर की राजनीतिक में दल-बदलुओं का खूब सिक्का चला है। आया राम गया राम की परंपरा जगाधरी विधानसभा से शुरू हुई। यहां के पूर्व विधायक जनसंघ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 06:13 AM (IST)
यहां दल-बदलुओं को भी खूब चला सिक्का
यहां दल-बदलुओं को भी खूब चला सिक्का

पोपीन पंवार, यमुनानगर

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यमुनानगर की राजनीतिक में दल-बदलुओं का खूब सिक्का चला है। आया राम गया राम की परंपरा जगाधरी विधानसभा से शुरू हुई। यहां के पूर्व विधायक जनसंघ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। टिकट न मिलने पर विरोधियों से भी हाथ मिलाने में इन्होंने संकोच नहीं किया। भाग्य ने भी पूरा साथ दिया। कुछ नेता तो ऐसे हैं जिन्होंने चार-चार पार्टी बदल दी। जनता ने भी इनके इस फैसले पर अपनी स्वीकृति पर मोहर लगाई। वहीं चंद ऐसे नेता भी हैं, जो टिकट की नाराजगी के चलते एन मौके पर पार्टी बदल गए, लेकिन सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ पाए। फिर अपनी पुरानी पार्टी का पल्लू पकड़ लिया।

यमुनानगर से वर्ष 1967 में भारतीय जनसंघ से मलिक चंद चुनाव जीते। 1977 में कांग्रेस से इन्होंने चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी कमला वर्मा से चुनाव हार गए थे। 1996 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा फिर हार गए थे। उप चुनाव में इनेलो से चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस प्रत्याशी को हराया। गंभीर अपने कुशल व्यवहार के चलते जनता के दिलों में बसते थे।

जगाधरी सीट से वर्ष 1972 में ओमप्रकाश शर्मा कांग्रेस के साधु राम को हराकर चुनाव जीते। वर्ष 1991 में ओमप्रकाश ने हविपा ज्वाइन की। 1968 में डॉ. ओमप्रकाश ने भारतीय जनसंघ से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के डॉ. रामेश्वर दास को हराया। ओमप्रकाश ने दल बदल कर कांग्रेस ज्वाइन की। वर्ष 1982 में विधायक बने। बीजेपी के बृजमोहन को हराया था। इसके बाद फिर वर्ष 1991 में पार्टी बदल कर 1996 में हरियाणा विकास पार्टी ज्वाइन की। वर्ष 2000 के चुनाव में चंद वोटों पर सिमट गए। रादौर विधानसभा सीट से लहरी सिंह ने वर्ष 1977 में जनता पार्टी से चुनाव जीता। 1982 का चुनाव कांग्रेस से लड़ा और हार गए। 1987 में भाजपा के रतन लाल कटारिया ने लहरी सिंह को हराया। वर्ष 1991 में हरियाणा विकास पार्टी में पहुंच गए। इन्होंने इनेलो के बंता राम को हराया। बंता राम ने भी दल बदले। वर्ष 2005 में इनेलो के ईश्वर सिंह ने कांग्रेस के लहरी सिंह को पटखनी दी। लहरी सिंह दल बदल को लेकर चर्चाओं में रहे। 1987 में बीजेपी से बृजमोहन ने चुनाव जीता। साढौरा विस से बलवंत सिंह इनेलो के टिकट पर 2003 व 2005 में दो बार विधायक बने। 2014 में भाजपा की लहर को भांपते हुए उन्होंने पाला बदल लिया और भाजपा में चले गए। भाजपा ने इनको प्रत्याशी के रूप में उतारा।


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