कुर्सी पर बैठते ही नौकरशाही, जनप्रतिनिधि दिखाने लगते हैं मनमानी
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कुर्सी पर बैठते ही ब्यूरोकरेशी व जनप्रतिनिधि मनमानी शुरू कर द
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कुर्सी पर बैठते ही ब्यूरोकरेशी व जनप्रतिनिधि मनमानी शुरू कर देते हैं। जब भी किसी जन प्रतिनिधि की रैली आदि होती है तो स्कूल याद आते हैं। राजनीति चमकाने के लिए युवाओं को प्रयोग करते हैं। बाइक के साथ झंडी देकर नारेबाजी कराने में आनंद आता है। यह बात जिला पब्लिक स्कूल एसोसिएशन की बैठक में फरीदाबाद से भाग लेने आए एसएस गोसाई ने कहीं। मंगलवार को जिमखाना क्लब में बैठक आयोजित की गई थी। स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल थापर कॉलोनी की ¨प्रसिपल रितु छाबड़ा की हत्या के बाद सुरक्षा नीति में संशोधन की मांग को लेकर स्कूल प्रबंधन, ¨प्रसिपल एकत्रित हुए थे।
काम के समय नरम और बाद में बदल जाता रवैया
उन्होंने कहा कि आधे से ज्यादा सरकारी काम में स्कूलों से बसें मंगाई जाती है। जब अधिकारियों को काम होता है तो उनसे आराम से बात की जाती है। कार्यक्रम खत्म होते ही उनका व्यवहार बदल जाता है। कभी फार्म छह के नाम तो कभी स्कूलों में कैमरे लगाने के नाम पर प्रताड़ित तक किया जाता है। अवकाश में स्कूल खोले जाने पर संचालक गिरफ्तार भी किए जाते हैं।
स्कूल संचालकों को ही क्यों ठहराते हैं जिम्मेदार
गुरुग्राम से आए एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव कर्नल प्रताप ¨सह ने कहा कि घटना घटते ही स्कूल संचालकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जाता है कि मानो यही अपराधी हैं। छोटी सी बात होते ही उनको अपराधी की नजर से देखा जाने लगता है। रियान स्कूल में हुई छात्र की हत्या के बाद सरकार ने बच्चों की सुरक्षा नीति में बदलाव लाने की बात कही थी। वह इसके खिलाफ नहीं है। संशोधन होना चाहिए। स्कूलों में 80 प्रतिशत महिला ¨प्रसिपल है। हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ते हैं। प्रबंधन समिति भी वहीं बैठती है। उनकी मांग है कि नई सुरक्षा नीति इन तीनों को साथ बैठाकर बने। इसमें अभिभावकों को भी साथ जोड़ना चाहिए।
डमी दाखिले करा कर ट्यूशन पर भेजे जाते हैं बच्चे
एसोसिएशन के साथ फरीदाबाद से आए राकेश कुमार ने कहा कि विधायक, मंत्री, अधिकारियों के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। सरकार अपने स्कूलों पर बच्चों को शिक्षित करने के लिए बहुत पैसा खर्च कर रही है। माता-पिता स्कूलों में डमी एडमिशन कराते हैं। इनको ट्यूशन पर भेजते हैं। यह जानने का कभी प्रयास नहीं करते हैं कि उनका बच्चा कर क्या रहा है। स्टाफ के लिए हर बच्चे के बैग चेक करना संभव नहीं होता। इस बात का ध्यान अभिभावकों को भी रखना होगा कि उनका बच्चा बैग में चाकू लेकर जा रहा है या रिवाल्वर। स्कूलों में तैनात गार्ड भी सभी को सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते हैं।
माता-पिता भी कम जिम्मेदार नहीं
नेशनल इंडिपेंडिड के (निसा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि स्कूल ¨प्रसिपल के साथ हुई घटना के पीछे अभिभावक भी कम जिम्ेदार नहीं हैं। वह बचपन से बच्चों के शौक पूरा करना शुरू कर देते हैं। थोड़ा बड़ा होते ही उसके हाथ में महंगा फोन, गाड़ी थमा देते हैं। जो बच्चा स्कूल कार से आएगा वह क्या पढ़ाई करेगा। अभिभावक अपने बच्च्े की जिम्मेदारी अध्यापकों पर छोड़ देते हैं। उसके बाद स्कूल में आकर यह जानने का प्रयास नहीं किया जाता है कि उनके बच्चे की स्टेट्स रिपोर्ट क्या है। फीस को लेकर अगर थोड़ा बच्चे को कह देते हैं तो अभिभावक लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। उनका सुझाव है कि माता-पिता को अपने बच्चों को समय जरूर देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट तक जाने से भी नहीं हटेंगे पीछे
कुलभूषण शर्मा ने कहा कि स्कूल प्रबंधन, ¨प्रसिपल, स्टाफ की सुरक्षा मजबूत करने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में जाकर लड़नी पड़ी तो एसोसिएशन पीछे नहीं हटेगी। उनका प्रयास रहेगा कि रियान केस के साथ इसकी याचिका भी लगाई जाएगी। जिससे स्कूल प्रबंधन, स्टाफ की सुरक्षा मजबूत होगी।