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फल-सब्जियों के प्रति बढ़ रहा रुझान, मशरूम उत्पादन में सोनीपत को दी टक्कर : डॉ. सैनी

परंपरागत खेती के साथ किसानों में सब्जियों प्रति भी रुझान बढ़ रहा है। मशरूम की खेती में रिकॉर्ड बना रहे हैं। सोनीपत जैसे अग्रणी जिले को टक्कर दे दी है। इसकी पैदावार 1200 टन पार कर गई है जबकि गत वर्ष यह 900 टन थी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 06:20 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 06:50 AM (IST)
फल-सब्जियों के प्रति बढ़ रहा रुझान, मशरूम उत्पादन में सोनीपत को दी टक्कर : डॉ. सैनी
फल-सब्जियों के प्रति बढ़ रहा रुझान, मशरूम उत्पादन में सोनीपत को दी टक्कर : डॉ. सैनी

परंपरागत खेती के साथ किसानों में सब्जियों प्रति भी रुझान बढ़ रहा है। मशरूम की खेती में रिकॉर्ड बना रहे हैं। सोनीपत जैसे अग्रणी जिले को टक्कर दे दी है। इसकी पैदावार 1200 टन पार कर गई है, जबकि गत वर्ष यह 900 टन थी। अगेती धान की कटाई के बाद जिले के किसान कौन-कौन सी सब्जियों की खेती कर सकते हैं? मशरूम की खेती की क्या स्थिति और कब से तैयारी शुरू की जा सकती है? इन सभी बातों को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता संजीव कांबोज ने जिला उद्यान अधिकारी डॉ. रमेश कुमार सैनी से बातचीत की।

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सब्जियों के फसल के प्रति जिले के किसानों का क्या नजरिया है? किन फसलों को अधिक तरजीह दी जा रही है?

जिले के किसान सब्जी की फसल बिजनेस की तरह कर रहे हैं। आधुनिक विधियों से खेती कर रहे हैं। अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। खासतौर पर मूली, शिमला मिर्च, खीरा, गोभी, घिया, तोरी जैसी सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है।

धान की अगेती किस्म की कटाई शुरू हो गई है। किसान किन सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं?

धान की कटाई और गेहूं की बिजाई के बीच का समय सब्जी उत्पादन के लिए किसानों के लिए बेहतर है। इन दिनों किसान आलू, गोभी, मूली, खीरा, पालक, मेथी आदि जैसी फसल का उत्पादन कर अच्छा लाभ ले सकते हैं।

अधिक उत्पादन की स्थिति में दामों में गिरावट आ जाती है और किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है?

नहीं, ऐसा नहीं है। नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने भावांतर भरपाई योजना शुरू की है। इससे किसानों को फायदा हुआ है। अब तो किसान समूह बनाकर खेती कर सकते हैं। इसके लिए विशेष अनुदान भी दिया जाता है।

सब्जियों की खेती आधुनिक तरीके से कैसे की जा सकती है, ताकि अच्छी आमदन हो सके?

किसान पोली हाउस में सब्जियां उगा सकते हैं। दाम भी अच्छे मिलेंगे और पैदावार भी अव्वल होगी। उद्यान विभाग की ओर से 65 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। पोली हाउस में सभी तरह की सब्जियां उगाई जा सकती हैं।

पोली हाउस और खुले में पैदा हुई सब्जी में क्या अंतर है?

पोली हाउस और खुले में उगाई सब्जी में जमीन-आसमान का अंतर है। पोली हाउस में तापमान कंट्रोल में रहता है, इसलिए इसमें ज्यादा समय तक सब्जी ली जा सकती है। इसमें बेमौसम में भी सब्जी भी उगाई जा सकती है। पहले बीज लगाने के बाद बेल जमीन पर ही फैल जाती थी, परंतु पोली हाउस में बेल को पौधे के रूप में ऊपर चढ़ाया जाता है, जिससे फसल ज्यादा होती है, जितनी ज्यादा फसल होगी मुनाफा भी उतना अधिक होगा।

कई लोगों ने बागवानी को बिजनेस बना लिया है?

यह सही है, कई जागरूक लोग है जिन्होंने बागवानी को ही बिजनेस बना लिया है। क्योंकि इसमें मुनाफा बहुत ज्यादा है। यमुनानगर में पैदा हुए मशरूम की डिमांड दिल्ली से भी आगे तक है। अब तो सोनीपत जिले से अधिक उत्पादन हो रहा है। पाली हाऊस में पैदा हुए टमाटर व खीरे की भी काफी डिमांड है।

किन-किन किस्मों के फूलों की खेती जिले में की जा सकती है?

ग्लेडियस, गेंदा, गुलाब और जरबेरा की खेती क्षेत्र के किसान कर सकते हैं। इनकी डिमांड भी काफी है। सब्जियों की बात की जाए तो सभी प्रकार की सब्जियों के लिए यहां का वातावरण अनुकूल है।

प्रोत्साहन के लिए विभाग की ओर से क्या प्रयास हैं?

किसानों को बागवानी के प्रति जागरूक करने के लिए किसान संगोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। प्रशिक्षण भी दिया जाता है और प्रोत्साहन राशि भी। पढ़े लिखे युवा अच्छे रोजगार के तौर पर बागवानी को अपना सकते हैं।


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