ओडीएफ का तमगा लेने के लिए संवारते शौचालय, बाद में व्यवस्था रामभरोसे
नगर निगम को ओडीएफ प्लस-प्लस का तमगा जरूर मिला लेकिन शौचालयों की व्यवस्था में खास सुधार नहीं हुआ। हालांकि सर्वेक्षण के दौरान आनन-फानन में शौचालयों की सफाई कराई पानी की व्यवस्था हुई जहां शौचालय नहीं थे वहां शौचालय भी बनवाए लेकिन सर्वेक्षण पूरा होते ही व्यवस्था फिर लचर हो गई।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नगर निगम को ओडीएफ प्लस-प्लस का तमगा जरूर मिला, लेकिन शौचालयों की व्यवस्था में खास सुधार नहीं हुआ। हालांकि सर्वेक्षण के दौरान आनन-फानन में शौचालयों की सफाई कराई, पानी की व्यवस्था हुई, जहां शौचालय नहीं थे, वहां शौचालय भी बनवाए, लेकिन सर्वेक्षण पूरा होते ही व्यवस्था फिर लचर हो गई। जन प्रतिनिधियों का कहना है कि ओडीएफ के नाम पर करोड़ों रुपये पानी तरह बहा दिए गए, लेकिन उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है। बिना ठोस प्लानिग के ही शहरी एरिया में आनन-फानन में मोबाइल शौचालय रख दिए गए। रख-रखाव के अभाव में अधिकांश पर ताले लटके हुए हैं।
दो वर्ष पहले नगर निगम के सभी वार्डो में 150 सार्वजनिक शौचालय रखवाए गए। एक शौचालय पर 70 हजार रुपये खर्च कर दिए। मौजूदा समय में आधे ही सही हालत में हैं। इस दौरान ओडीएफ घोषित करने के लिए चलाए गए अन्य कार्यक्रमों में भी मोटा खर्च हुआ है। हैरानी की बात यह भी है कि कुछ शौचालयों को आज तक पानी के कनेक्शन नहीं दिए और जिन पर दिए गए हैं, वह भी खस्ता स्थिति में हैं। खासतौर पर नगर निगम में शामिल हुए गांवों में शौचालयों का बुरा हाल है, लेकिन हद इस बात की है कि यहां तक नगर निगम अधिकारी या कर्मचारी आकर झांकते तक नहीं हैं।
सफाई और पानी की व्यवस्था नहीं
सार्वजनिक स्थलों पर रखे इन शौचालयों की स्थिति इन दिनों दयनीय है। नगर निगम की ओर से सफाई की कोई व्यवस्था नहीं की गई। सफाई व्यवस्था के लिए उस क्षेत्र के लोगों की एक कमेटी बना दी गई, लेकिन यह कमेटी भी रखरखाव में कोई सूची नहीं दिखा रही है। इन शौचालयों पर कहीं दिनभर व्यर्थ पानी बहता है तो कहीं आज तक पानी नहीं पहुंचा। गांधी नगर में रखे शौचालयो में टोंटियां टूटी पड़ी पड़ी हैं। आज तक किसी ने सुध नहीं ली।
स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान ली जाती सुध
वार्ड चार के पार्षद देवेंद्र कुमार का कहना है कि ओडीएफ करने के नाम पर नगर निगम ने करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। इन कार्यो में सिवाय भ्रष्टाचार के और कुछ नहीं हुआ। जहां आवश्यकता है, वहां शौचालयों की व्यवस्था नहीं की गई। स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान आनन-फानन में इनकी सफाई की जाती है। मोबाइल शौचालय रखने की यह योजना सिरे नहीं चढ़ी। जब सार्वजनिक स्थलों पर मोबाइल शौचालय रखे गए हैं, तो उनका रख-रखाव भी सुनिश्चित करना चाहिए।
निगम की बैठक में रखेंगे मुद्दा
वार्ड 20 से पार्षद रेखा राणा का कहना है कि शहरी एरिया में शौचालयों का मुद्दा बड़ा है। ये पहली आवश्यकता है, लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर रखे शौचालयों के नाम पर मात्र खानापूर्ति हो रही है, जो शौचालय नगर निगम की ओर से रखे गए हैं, उनका कोई फायदा नहीं हो रहा है। नगर निगम में शामिल हुए गांवों में रखे शौचालय तो दिखावा बनकर रह गए हैं। कई पर आज तक पानी का कनेक्शन तक नहीं दिया गया। यह मामला हाउस की बैठक में रखा जाएगा। इनकी जांच कराने की मांग की जाएगी। चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर अनिल कुमार नैन का कहना है कि शहर में जहां भी शौचालय की आवश्यकता है, उसकी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी हुई है। मेरे संज्ञान में ऐसा कोई शौचालय नहीं है, जहां पानी का कनेक्शन न हो। यदि फिर भी किसी एरिया में कोई खामी है, तो उसको दुरुस्त करा दिया जाएगा।