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कृषि कानूनों के समर्थन में डीसी को सौंपा ज्ञापना, कानूनों को बताया किसानों की मुक्ति का रास्ता

कृषि कानूनों के पक्ष में भारतीय किसान यूनिन गुणी प्रकाश गुट की ओर से डीसी को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 09:25 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 09:25 AM (IST)
कृषि कानूनों के समर्थन में डीसी को सौंपा ज्ञापना, कानूनों को बताया किसानों की मुक्ति का रास्ता
कृषि कानूनों के समर्थन में डीसी को सौंपा ज्ञापना, कानूनों को बताया किसानों की मुक्ति का रास्ता

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कृषि कानूनों के पक्ष में भारतीय किसान यूनिन(गुणी प्रकाश गुट) के पदाधिकारियों ने डीसी मुकुल कुमार को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश भर में खेती और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने और किसान को वैश्विक स्तर पर अलग पहचान देने के लिए नए कृषि कानून बनाए। ये पूरी तरह किसानों हित में हैं। इनसे किसानों को किसी तरह का नुकसान नहीं होने वाला बल्कि उनको फायदा होगा। इसलिए इनके विरोध का कोई औचित्य नहीं बनता। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी डीसी को ज्ञापन दे रहे हैं। कानूनों से किसानों को मिली आजादी

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प्रधान गुणी प्रकाश, कैप्टन दिनेश कुमार, अमित शर्मा, विक्की, फतेह सिंह व बलकार सिंह ने कहा कि देश के बड़े किसान नेताओं और किसान संगठनों ने ने बहुत पहले ही किसानों के लिए उसकी फसल अपनी मर्जी से बेचने की मांग की थी। ताकि किसानों को अपनी फसल को बेचने की आजादी हो सके। अब सरकार ने इसको पूरा कर दिया है। कृषि कानून किसान को आजादी दे रहे हैं कि वे अपने उत्पाद को मंडियों में फसल बेचे या मंडियों के बाहर। इतना ही नहीं यह कानून किसान की शर्तों पर अनुबंध करके अपनी खेती की मांग के अनुरूप करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। हम अपनी फसल शर्तों पर कंपनी को बेच सकते हैं। अब समय बदल रहा है। किसान का पुरानी परंपराओं से बाहर आना पड़ेगा। साहूकार बने आढ़ती

गुणी प्रकाश ने कहा कि काले कानून नहीं बल्कि यह किसान की मुक्ति का रास्ता है। किसान साहूकारों के चंगुल से बाहर निकल सकेंगे। आढ़ती बिचौलिए हैं। वह किसानों की फसलों को लूट रहे हैं। साहूकार ही आढ़ती बन गए है। किसान की आजादी खत्म हो चुकी है। लेकिन अब किसान आजाद होंगे। आढ़ती कांट्रेक्ट फार्मिंग से ज्यादा अत्याचार कर रहा है। किसान चाहकर भी अपनी फसल को किसान दूसरे आढ़ती पर नहीं बेच सकता है। ये तीनों कृषि कानून स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि एमएसपी यदि तय करनी है यह सीटू प्लस 50 फीसद पर होनी चाहिए। कानून में संशोधन जरूरी वस्तु अधिनियम को लेकर किया गया है। 1956 में बना कानून चल रहा था। जरूरी वस्तु अधिनियम की आड़ की किसानों के उत्पादन को लूटा जा रहा है। जो एमएसपी लाल बहादुर शास्त्री ने बनाई थी, उसको किसी भी प्रधानमंत्री ने लागू नहीं किया। अब सरकार ने किसानों के स्तर को ऊंचा उठाने का काम किया है। किसानों के समर्थन में रोडवेज कर्मचारियों ने दो घंटे किया प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर यमुनानगर डिपो में शुक्रवार को किसानों के समर्थन में दो घंटे बस स्टैंड पर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, जिसकी अध्यक्षता डिपो प्रधान नंदलाल कांबोज ने की। संचालन यूनियन के सचिव महीपाल सोडे ने किया। नंदलाल कांबोज ने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत करे व किसान विरोधी कानून वापस ले। रोडवेज का एक-एक कर्मचारी किसानों के आंदोलन का समर्थन करता है। नगर निगम प्रधान प्रवेश परोचा ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने, ओवरटाइम बंद करने के नाम पर कर्मचारियों का शोषण करना बंद हो। फायर ब्रिगेड के नेता गुलशन भारद्वाज ने कहा कि रोडवेज कर्मचारियों पर आए दिन हो रहे हमले बंद करने व दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, हड़ताल के दौरान किए गए नाजायज निलंबन, मुकदमें, तबादले, एस्मा व अन्य उत्पीड़न बंद होने चाहिए। सरकार की नीयत सही है तो किलोमीटर स्कीम के तहत प्राइवेट बसें ठेके पर लेने का इरादा छोड़े। इस मौके पर रामपाल, राम कुमार, सुमित सूद, प्रदीप, बिक्रम, राजेश, पवन कुमार, रणधीर, पवन, रवि, राजेश, विजय, सतबीर, सुरिद्र, फूल कुमार कांबोज, वरयाम सिंह सैनी, हरबंस सिंह, रामकुमार, किशन कुमार, जसबीर सिंह, संजय, मनीष कुमार, प्रदीप मौजूद रहे।


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