लॉकडाउन में अस्थियों को नहीं मिला गंगा का पानी, यमुना में की प्रवाहित
लॉकडाउन की वजह से मृतकों की अस्थियों को भी गंगा का पानी नसीब नहीं हो रहा है। पुलिस का कड़ा पहरा लोगों को अब हरिद्वार जाने से भी रोक रहा है। सोमवार को परिवार के लोगों की अस्थियां लेकर हरिद्वार के लिए चले लोगों को पुलिस ने बॉर्डर पर ही रोक लिया। काफी मिन्नतों के बाद भी बॉर्डर से आगे नहीं जाने दिया गया। पुलिसकर्मियों ने यहां तक कह दिया कि यमुना बह रही है। इसमें ही अस्थियां विसर्जित कर दो। दो परिवारों ने तो यमुना में ही अस्थियों का विसर्जन किया जबकि कुछ लोग वापस लौट गए।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
लॉकडाउन की वजह से मृतकों की अस्थियों को भी गंगा का पानी नसीब नहीं हो रहा है। पुलिस का कड़ा पहरा लोगों को अब हरिद्वार जाने से भी रोक रहा है। सोमवार को परिवार के लोगों की अस्थियां लेकर हरिद्वार के लिए चले लोगों को पुलिस ने बॉर्डर पर ही रोक लिया। काफी मिन्नतों के बाद भी बॉर्डर से आगे नहीं जाने दिया गया। पुलिसकर्मियों ने यहां तक कह दिया कि यमुना बह रही है। इसमें ही अस्थियां विसर्जित कर दो। दो परिवारों ने तो यमुना में ही अस्थियों का विसर्जन किया, जबकि कुछ लोग वापस लौट गए।
दो दिनों से बॉर्डर पर पुलिस ने सख्ती बढ़ा दी है। बाहर से आए श्रमिकों को रोकने के लिए यह सख्ती की गई है। इन श्रमिकों के रहने के लिए शेल्टर होम बना दिए गए हैं, लेकिन इस सख्ताई से उन लोगों पर भी असर पड़ रहा है। जो जरूरत के लिए घरों से बाहर निकलते थे। अब किसी को भी बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। दामला के बलजीत सिंह के पिता के मौत दो दिन पहले हो गई थी। सोमवार को अस्थियां चुनी गई। इन अस्थियों को वह हरिद्वार में विसर्जित करने के लिए चले। दामला के ही राकेश कुमार की मां की भी मौत हो गई थी। वह भी अस्थियां लेकर हरिद्वार जाने के लिए चले थे। जब वह कलानौर बॉर्डर पर पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। बलजीत व राकेश कुमार ने पुलिस से कहा कि वह अस्थियां विसर्जन करने के लिए जा रहे हैं, लेकिन पुलिस ने आगे नहीं जाने दिया। साफ कह दिया कि लॉकडाउन तक अस्थियां श्मशान घाट में रखो या फिर घर पर। बॉर्डर पार करने नहीं दिया जाएगा। सरकार के स्पष्ट आदेश है। यमुना में ही प्रवाहित की अस्थियां :
काफी देर तक मिन्नतें करने के बाद भी पुलिस ने आगे नहीं जाने दिया। एक पुलिसकर्मी ने कहा कि यमुना में ही विसर्जित कर दो। यह भी तो गंगा के समान ही है। इस पर राकेश व बलजीत ने अपने स्वजनों की अस्थियां यमुना में ही प्रवाहित की। इसी तरह से कुरुक्षेत्र से संजीव शर्मा भी अस्थियां लेकर पहुंचे थे। उन्हें भी आगे नहीं जाने दिया गया। वह डीसी की परमिशन लेकर आए थे, लेकिन बॉर्डर पार नहीं कर सके। जिस पर वह अस्थियां लेकर वापस लौट गए।