चार सौ दिन भी नहीं टिका, 470 करोड़ी बाईपास
470 करोड़ रुपये से बना कलानौर-कैल बाईपास को चालू हुए चार सौ दिन भी नहीं हुए कि टूटने लगा है। करेहड़ा बाईपास सुखपुरा दामला सहित अन्य कई जगह से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। ऐसे में बाईपास के निर्माण पर सवाल उठने लगे हैं। बड़े-बड़े गड्ढे हादसों का कारण बन रहे हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : 470 करोड़ रुपये से बना कलानौर-कैल बाईपास को चालू हुए चार सौ दिन भी नहीं हुए कि टूटने लगा है। करेहड़ा बाईपास, सुखपुरा, दामला सहित अन्य कई जगह से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। ऐसे में बाईपास के निर्माण पर सवाल उठने लगे हैं। बड़े-बड़े गड्ढे हादसों का कारण बन रहे हैं। बाईपास पर फर्राटे भर रहे वाहन गड्ढे में आकर हिचकोले भरने लगते हैं। इस बाईपास का संबंध प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित पड़ोसी राज्यों से भी है। करीब 23 किलोमीटर लंबा यह बाईपास जगह-जगह से धंसना शुरू हो गया है।
दामला क्रॉसिग के पास कई माह से हाइवे का हिस्सा धंसा हुआ है। दोनों साइड इतनी खतरनाक हो चुकी है कि यहां अकसर वाहन पलट रहे हैं। इसके अलावा सुखपुरा और करेहड़ा क्रॉसिग के पास भी कई माह से हाईवे टूटा पड़ा हैं। यहां पैचवर्क करने की भी जहमत नहीं उठाई गई है। बाईपास पर फर्राटे भर रहे वाहनों की यहां रफ्तार थम जाती है। हादसा होने का भय बना रहता है। दामला क्रॉसिग पर तो अकसर जाम भी लगता है।
दिनरात दौड़ते भारी वाहन
उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड आदि राज्यों में जाने वाले बजरी से भरे भारी वाहन दिन-रात यहां से गुजरते हैं। खनन को लेकर जिला अग्रणी है। इसलिए भारी वाहनों की तादाद अधिक है। माइनिग जोन से आने वाले रेत बजरी के वाहन अब बाईपास से ही होकर गुजरते हैं। दामला क्रॉसिग से होते हुए करनाल की ओर निकल जाते हैं। हालांकि यहां पुलिस का नाका भी लगता है, लेकिन ओवरलोड वाहनों पर अंकुश नहीं है।
सुर्खियों में रहा निर्माण
बाईपास का निर्माण शुरू से ही सुर्खियों में रहा है। 2002 में घोषणा के बाद पहले तो चार वर्ष तक मामला ठंडे बस्ते में रहा। उसके बाद वर्ष 2006 में भूमि का अधिग्रहण शुरू हुआ। हालांकि वर्ष 2010 में निर्माण का कार्य गैमन इंडिया कंस्ट्रक्शन कंपनी को भी दे दिया गया था, लेकिन यह निर्माण कार्य शुरू करने के बाद इस कंपनी ने भी कार्य अधर में छोड़ दिया गया। बाद में गुजरात की एक कंपनी से इसका निर्माण पूरा किया।
ये सड़कें भी टूटीं
बूड़िया-खदरी-देवधर मार्ग, पांसरा-शहजादपुर रोड, अंबाला रोड, जठलाना गुमथला रोड, जठलाना-रादौर रोड सहित अन्य कई सड़कें हैं जो ओवरलोड की भेंट चढ़ चुकी हैं। एक तो वाहनों में क्षमता से कई गुणा अधिक रेत होता है, दूसरा पानी टपकता है। जिससे सड़कें टूटकर बिखर चुकी हैं। इन सड़कों से दिनरात भारी वाहन गुजर रहे हैं। अन्य वाहन चालकों के लिए इन सड़कों से गुजरना मुश्किल होता है।
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जठलाना निवासी उमेश गर्ग का कहना है कि बाईपास पहले की सुरक्षित नहीं है। दामला के पास बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। इसकी मरम्मत तक नहीं की जा रही है। इसके निर्माण में कोताही बरती गई है। इसलिए टूटने लगा है। अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। इनसेट
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खजूरी निवासी प्रताप राणा का कहना है कि सड़कों के टूटने का बड़ा कारण ओवरलोड है। इस पर अंकुश नहीं है। करोड़ों रुपये से बनी सड़कें धंस रही हैं। कलानौर-कैल बाईपास को चालू हुए अभी एक माह भी नहीं बीता। दूसरी सड़कों के भी हालात खराब हैं।