पहले बहुत दूर वोट डालने पैदल ही जाना पड़ता था, अब तो घर पर ही गाड़ी आ जाती है
पहले का जमाना सच्चा और सस्ता था। अब सब बदल गया है। अब बिना मतलब के कोई बात नहीं करता। अब मतलब के लिए नेता आते हैं।
पहले का जमाना सच्चा और सस्ता था। अब सब बदल गया है। अब बिना मतलब के कोई बात नहीं करता। अब मतलब के लिए नेता आते हैं। पहले हर किसी के दुख-सुख में नेता चुनाव जीतने के बाद भी आते थे। मुझे याद है, पहले बहुत दूर वोट डालने के लिए पैदल ही जाना पड़ता था। अब तो बूथ नजदीक बन गए हैं। दूर भी हों तो नेता गाड़ी भेज देते हैं। चुनाव के बाद कोई पूछने नहीं आता। पहले सच्चा जमाना था, जिसको वादा कर दिया। उसको वोट दिया जाता था। अब तो पता ही नहीं लगता। वादा किसी से करते हैं और फिर वोट किसी और को दे आते हैं। हमारे समय में घर में एक मुखिया तय कर देता था। किसे वोट देना है। हमारे लिए कौन सा प्रत्याशी सही है। घर पर ही पर्चियां मिल जाती थी। बता दिया जाता था कि फलां निशान पर मुहर लगानी है। परिवार की सभी महिलाएं एक साथ वोट डालने जाती थीं और मुखिया के कहे अनुसार वोट डालती थी। परिवार में एकता थी। साथ ही प्रत्याशी के सामने भी परिवार का वजन पड़ता था, लेकिन अब तो सब अलग-अलग हो गए हैं। हमने इंदिरा गांधी को नहीं देखा, लेकिन सुना जरूर है। टीवी पर उनके बारे में सुना। उनके बाद राजीव गांधी और संजय गांधी को भी सुना है। नाम : बरछी देवी
उम्र : 91 वर्षीय
पता : भोजपुर गांव, यमुनानगर