आखिर जुबां पर आ ही गई दिल की बात
नगर निगम का कार्य इन दिनों पटरी से उतरा हुआ है। विकास कार्यों को लेकर अब तक तो विपक्ष के पार्षद सरकार को घेरने में कसर शेष नहीं छोड़ रहे थे अब सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी विकास कार्यों में गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए मोर्चा खोल दिया है।
नगर निगम का कार्य इन दिनों पटरी से उतरा हुआ है। विकास कार्यों को लेकर अब तक तो विपक्ष के पार्षद सरकार को घेरने में कसर शेष नहीं छोड़ रहे थे, अब सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी विकास कार्यों में गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए मोर्चा खोल दिया है। मेयर मदन चौहान के करीबियों में शामिल पार्षदों के तेवर इस कदर बदल जाएंगे, शायद ही किसी ने सोचा होगा। क्योंकि अब तक हर बात में सुर से सुर मिलाते रहे हैं। अमरूत योजना के तहत चल रहे सीवरेज व पेयजल के कार्यों से ये पार्षद संतुष्ट नहीं है। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि विकास कार्यों में गुणवत्ता को लेकर मेयर मदन चौहान गंभीरता दिखाते रहे हैं। एक बार तो पाइप की गुणवत्ता जांचने के लिए स्वयं ही सीवरेज के गड्ढे में उतर गए थे। बावजूद इसके पार्षदों का सवाल उठाना बड़ी बात है। .ऐसी भी क्या बेरूखी
शहर की सरकार को बने अभी एक ही वर्ष बीता है कि कई पार्षद खफा-खफा से दिखाई देने लगे हैं। अभी चार वर्ष हैं। बगावत की बू अभी से आने लगी है। बात ये भी बाहर आ रही है कि कुछ पार्षदों ने मेयर रूम से दूरी बना ली। कुछ दिनों से ही ऐसा देखा जा रहा है। अब तक तो मेयर रूम में अकसर बैठे हुए देखा जाता रहा है। दो पार्षद स्वयं न होकर उनके पति शामिल हैं। जुबां पर विकास कार्यों में अनदेखी की बात भी आ रही है। यहां तक कि मेयर रूम से आया फोन तक उठाना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। यहां तक कह जाते हैं कि उनके कहने से वार्ड में सफाई तक नहंी होती। वार्ड में होने वाले किसी भी कार्य के बारे में उनसे राय तक नहीं ली जाती। आखिर कुछ तो बात है जिससे ये दूरियां सार्वजनिक हो रही है। सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव के पीछे आखिर क्या है राज,
भाजपा जिलाध्यक्ष के चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं, लेकिन नगर निगम में डिप्टी मेयर व सीनियर डिप्टी मेयर का चुनाव एक वर्ष बाद भी नहीं हो सका। आखिर क्या राज है? ये महत्वपूर्ण पद क्यों खाली है। हालांकि शुरुआती दौर में जल्द चुनाव करवाने की बात कही जाती रही है, लेकिन अब पूरी तरह मेयर व विधायक चुप्पी साधे हुए है। बड़े नेताओं के चहेते पार्षदों के नाम भी सामने आए। फरवरी 2019 में चुनाव के लिए एक दफा बैठक भी बुलाई। पार्षदों ने भी नेताओं के चक्कर खूब लगाए, लेकिन थककर यू हीं बैठ गए। सात जनवरी 2019 को मेयर और पार्षदों ने शपथ ग्रहण कर ली थी। उसके बाद एक बार बैठक जरूर बुलाई गई, लेकिन मेयर के न पहुंचने के कारण इसे रद कर दिया गया था। तैयारी धरी की धरी रह गई। भाजपा के बहुमत में होने के बावजूद चुनाव न करवाया जाना अखरना स्वभाविक ही है। तरह की तरह चर्चा इसको लेकर राजनैतिक गलियारों में हो रही है। लापरवाही की सभी हद पार कर रहे हैं निगम के अधिकारी :
सरोज कॉलोनी में पार्क की करोड़ों रुपये की जमीन हार चुके नगर निगम अधिकारी अपने झूले तक नहीं बचा पा रहे हैं। केस जीत जाने के बाद मालिक ने पुलिस की मदद से पार्क की जमीन पर कब्जा ले लिया, लेकिन पार्क में लगी नगर निगम की संपत्ति लावारिस पड़ी है। इसकी कीमत कई लाखों में है। अब तो सामान चोरी होने लगा है, लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों को परवाह नहीं है। इस सामान को उठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना मुनासिब नहीं समझा। वार्ड के पार्षद की शिकायत के बावजूद इस सामान को यहां से नहीं उठाया गया। नगर निगम के पास अपने ट्रैक्टर-ट्राली व कर्मचारी होने के बावजूद इस सामान को न उठाना अधिकारियों की लापरवाही को बयां कर रहा है। अपनी ही संपत्ति को अधिकारी नहीं बचा पा रहे हैं। जिस विभाग के मंत्री अनिल विज जैसे सख्त नेता हों, उसमें अधिकारियों का ये रवैया अखर रहा है।
प्रस्तुति :: संजीव कांबोज