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महिला 27 वर्ष तक बनी रही सरकारी टीचर, अब हुआ एेसा खुलासा

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक महिला पंजाबी शिक्षिका की नौकरी करती रही। इतना ही नहीं वह सेवानिवृत्ति लेकर चली भी गई।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 08:18 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 12:25 PM (IST)
महिला 27 वर्ष तक बनी रही सरकारी टीचर, अब हुआ एेसा खुलासा
महिला 27 वर्ष तक बनी रही सरकारी टीचर, अब हुआ एेसा खुलासा

जेएनएन, यमुनानगर। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक महिला 27 साल तक पंजाबी शिक्षिका की नौकरी करती रही। इतना ही नहीं वह सेवानिवृत्ति लेकर चली भी गई। मामला सरस्वती नगर के जनता सीनियर सेकेंडरी स्कूल का है। यहां कस्बे की राजरानी पर फर्जी डिग्री के सहारे पंजाबी शिक्षिका की नौकरी हासिल करने का आरोप है। इसका खुलासा तब हुआ जब सरकार ने एडेड कॉलेजों का स्टाफ टेकओवर किया और इसके लिए शिक्षकों के मूल प्रमाणपत्र मांगे। स्कूल प्रबंधन ने राजरानी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है।

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जनता सीनियर सेकेंडरी स्कूल सरस्वती नगर में राजरानी की वर्ष सन् 1990 में पंजाबी शिक्षिका के पद पर नौकरी लगी थी। कई साल पहले जगाधरी के एक व्यक्ति ने जनसूचना अधिकार के तहत उनके दस्तावेजों की जानकारी मांगी, लेकिन उसे जानकारी नहीं दी गई। नवंबर 2013 में प्रदेश सरकार ने एडेड स्कूलों के स्टाफ को टेकओवर करने की प्रक्रिया शुरू की। प्रबंधक कमेटी के प्रधान ने सरकार के निर्देशों के मुताबिक वर्ष 2015 में सभी शिक्षकों को असली दस्तावेज जमा करने के आदेश दिए।

सर्टिफिकेट दिया नहीं, मांग ली सेवानिवृत्ति

जनता सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रबंधन समिति अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि राजरानी ने पंजाबी ओटी का सर्टिफिकेट नहीं दिया। कई बार मौका दिया गया। 10 अप्रैल 2015 को राजरानी ने असली दस्तावेजों के स्थान पर सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी जमा कराई और कहा कि यही मेरे प्रमाणपत्र हैं। इसके बाद पंजाबी ओटी का मूल प्रमाणपत्र देने के लिए कहा गया, तो बेटे की शादी में व्यस्त होने का हवाला देते हुए सर्टिफिकेट न मिलने की बात कही।

तीन मार्च 2017 को राजरानी ने अंडरटेकिंग दी कि उनका वीआरएस का केस विभाग को भेज दिया जाए। साथ ही कहा कि जब तक वह अपने दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करतीं उनके सभी सेवानिवृत्ति लाभ रोक दिए जाएं। यदि संस्थान को उनकी वजह से आर्थिक नुकसान हुआ है तो वह इसकी जिम्मेदार होंगी। प्रबंधन ने उनके असली प्रमाणपत्र न मिलने पर फोटोकॉपी हेड ऑफिस भेज दी। हेड ऑफिस से जांच कराई गई तो प्रमाणपत्र फर्जी मिला। 31 मार्च 2017 को राजरानी वीआरएस लेकर चली गई।

डीईओ ऑफिस के एसओ को रिश्वत लेते पकड़वाया था

करीब डेढ़ साल पहले डीईओ ऑफिस में एसओ को दो हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई राजरानी की शिकायत पर ही हुई थी। पुलिस जांच अधिकारी सूरजभान सिंह ने बताया कि स्कूल प्रबंधन की ओर से उन्हें शिकायत मिली थी। जांच के आधार पर केस दर्ज किया गया है।

केस दर्ज होने की जानकारी नहीं : बलदेव राज

राजरानी के पति डॉ. बलदेव राज ने बताया कि किसी फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल नहीं किया है। पत्नी पर थाने में केस दर्ज हुआ है इसकी भी जानकारी उन्हें नहीं है।

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