पोल्ट्री तक नहीं पहुंचा फीड, सप्लाई घटने से चिकन का रेट 200 पार
मार्च में लॉकडाउन लगा तो ट्रांसपोर्ट बंद होने से पोल्ट्री संचालकों को ब्रैलर के लिए फीड नहीं मिली।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मार्च में लॉकडाउन लगा तो ट्रांसपोर्ट बंद होने से पोल्ट्री संचालकों को ब्रैलर के लिए फीड नहीं मिली। ब्रैलर के भूखा मरने के डर से संचालकों ने इसे 20 रुपये प्रति ब्रैलर के हिसाब से बेच दिया था या फिर जंगलों में छोड़ दिया था। अब पोल्ट्री में ब्रैलर नहीं होने व डिमांड बढ़ने से चिकन के दाम आसमान को छू गए हैं। दुकानों पर चिकन 190 से 210 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है। चिकन के दामों में अचानक हुई वृद्धि से लोग भी हैरान हैं। फार्म से 108 रुपये बिक रहा ब्रैलर :
पोल्ट्री कारोबारियों की माने तो इस वक्त पोल्ट्री फार्म से ही ब्रैलर 108 रुपये किलोग्राम की दर से बिक रहा है। फार्म से इसे गाड़ियों के माध्यम से दुकानों तक पहुंचाया जाता है। इसमें गाड़ी का किराया व लेबर की मजदूरी जोड़ दी जाती है। अपना सारा खर्च व मुनाफा जोड़ कर दुकानदार चिकन 190 से 210 रुपये में बेच रहे हैं। कुछ दुकानों पर तो 220 रुपये तक बिकता देखा गया है। 525 में से 400 फार्म हुए बंद :
पोल्ट्री एसोसिएशन के जिला प्रधान भंवर सिंह, पोल्ट्री कारोबारी राकेश कुमार, पवन कुमार, धीरज, विवेक ने बताया कि जिला में करीब 525 पोल्ट्री फार्म थे। जिनमें से अब 75 से 100 फार्म पर ही ब्रैलर तैयार हो रहा है। करीब 400 फार्म बंद हो चुके हैं। जब पहली बार लॉकडाउन लगा था तो देशभर में ट्रांसपोर्ट बंद हो गया था। जिस कारण फार्मों पर ब्रैलर के लिए फीड, दाना व अन्य आहार नहीं पहुंच पाया। इसलिए ब्रैलर को भूखा मरने के डर से कारोबारियों ने ब्रैलर को जिदा ही जंगलों में छोड़ दिया। अब फार्मों में ब्रैलर नहीं है और डिमांड बहुत ज्यादा है। डिमांड को कारोबारी पूरा नहीं कर पा रहे इसलिए रेट बढ़ गया है। आर्थिक पैकेज से कुछ नहीं मिला :
जिला प्रधान भंवर सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार ने पिछले दिनों 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। परंतु इस पैकेज से पोल्ट्री कारोबारियों को कुछ नहीं मिला। इसका फायदा तो वे कारोबारी उठा गए जो रोजाना करोड़ों रुपये का चिकन कारोबार करते हैं। पोल्ट्री फार्मों का बिजली बिल इतना आ रहा है। सरकार बिल माफ कर, लोन में छूट देकर उन्हें राहत पहुंचा सकती है। पोल्ट्री कारोबार इस वक्त संकट के दौर से गुजर रहा है।