एजुसेट अलमारी में बंद, विद्यार्थियों को हाईटेक बनाने का सपना हुआ धूमिल
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को हाईटेक बनाने का सपना अलमारी में बंद है। कारण है कि जिले के स्कूलों में लगे आधे से ज्यादा एजुसेट बैटरी के अभाव में बंद हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को हाईटेक बनाने का सपना अलमारी में बंद है। कारण है कि जिले के स्कूलों में लगे आधे से ज्यादा एजुसेट बैटरी के अभाव में बंद हैं। विद्यार्थी इसके लाभ नहीं ले पा रहे हैं। केवल किसी विशेष आयोजन पर इनको अध्यापक किसी तरह से चलाते हैं। बच्चों को कार्यक्रम दिखाते हैं। जहां प्रयास के बाद भी नहीं चलते वहां टीवी पर प्रसारण दिखा दिया जाता है। जिले में 622 प्राइमरी स्कूल हैं। एजुसेट वर्ष 2007 में लगाए गए थे। जो ठीक हैं उनमें सिग्नल प्रोब्लम
जिन स्कूलों में एजुसेट ठीक हैं। वहां सिग्नल नहीं आते। इस वजह से शो पीस बनकर रह गए। जिले में 655 एजुसेट सिस्टम हैं। प्राइमरी में 622 व सेकेंडरी में 40 लगे हैं। इनमें से आधे से ज्यादा खराब हैं।
इस समय ये हैं हालात
सिग्नल सिस्टम व तकनीकी खराबी के कारण करोड़ों रुपए के एजुसेट धूल फांक रहे हैं। कई जगह पर बिजली की सप्लाई के अभाव में चार्जिंग न होने के कारण डेड पड़ी बैटरी, यूपीएस या अन्य सम्बंधित सामग्री के कारण योजना ठंडे बस्ते में है। बहुत से स्कूलों में एजुसेट सिस्टम ही चोरी हो चुके हैं या कहीं कहीं बैटरी चोरी हो चुकी हैं।
इन चिप से चलाए जा सकते हैं सिस्टम
जानकारों की माने तो इन दिनों बाजार में 500 रुपये मूल्य में रीडर चिप उपलब्ध है। इसके प्रयोग से इनको चलाया जा सकता है। इससे क्लासिज स्मार्ट बनाई जा सकती हैं। ये होगा लाभ
-बैटरी चार्ज करके टीवी का समुचित उपयोग हो सकता है
- बाल साहित्य से संबंधित कविता, कहानियां शुद्ध उच्चारण के साथ प्रस्तुतिकरण से बच्चों का भाषा उच्चारण भी होगा शुद्ध ।
- छोटे-छोटे नाटकों के प्रसारण से ज्ञानवर्धन आसानी से हो सकेगा
- बिना डिश के सही सलामत टीवी का पूर्णत: सदुपयोग किया जा सकता है
- ज्ञानवर्धक पाठ्य सामग्री का समावेश विषय वस्तु को रुचिकर बनाने में सहायक
- बोलने पर बच्चे जल्दी याद कर लेते हैं इनकी ऑडियो क्लिप चिप में डालकर उपयोगी बनाया जा सकता है। इनसेट
एजुसेट सिस्टम विद्यार्थियों के लिए बेहतर योजना रही है। इसके अपडेट करने के लिए आला अधिकारियों को लिखा जाएगा।डॉ. उमेश प्रताप वत्स, शहीद परमिन्द्र ¨सह राजकीय उच्च विद्यालय तेजली, यमुनानगर।