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दान की पीपीई किटें नहीं मानकों पर खरी, सिट्रा प्रमाणित किट ही सुरक्षित

जो किटें लोग दान कर रहे वह मानकों पर खरी नहीं होती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 04:44 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 04:44 AM (IST)
दान की पीपीई किटें नहीं मानकों पर खरी, सिट्रा प्रमाणित किट ही सुरक्षित
दान की पीपीई किटें नहीं मानकों पर खरी, सिट्रा प्रमाणित किट ही सुरक्षित

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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गत 18 मई को सीएम मनोहर लाल व गृह मंत्री अनिल विज ने सभी सिविल सर्जनों के साथ वीसी की थी। जिसमें कहा गया था कि इस समय स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। कोई भी स्वास्थ्य कर्मी स्थानीय स्तर पर बनी पीपीई किट का प्रयोग न करें। कुछ समाजसेवी संस्थाएं भी पीपीई किट तैयार कर प्रशासन को दे रही हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता उस स्तर की नहीं है। वहीं कुछ डिजाइनर भी अपने स्तर से पीपीई किट का अप्रैन तैयार कर रहे हैं। अब सरकार ने इस पर भी रोक लगा दी है। केवल सिट्रा प्रमाणित किटों को ही पहनने की अनुमति दी गई है।

44 हजार किट तैयार कर चुके हैं : प्रवक्ता

रेलवे प्रवक्ता ने बताया कि नार्दन रेलवे अभी तक 44 हजार पीपीई किट तैयार कर चुका है। अधिकतर किट जगाधरी वर्कशॉप में तैयार हुई हैं। ये किट रेलवे विभाग के अस्पतालों व पैरामेडिकल स्टाफ के लिए तैयार की गई। इसके अलावा यदि कहीं से डिमांड आती है तो किट भेजी जाती। डिमांड दिल्ली ऑफिस में ही आती है। पीपीई किट डीआरडीओ से प्रमाणित है। जांच में सैंपल पास होने के बाद ही प्रेशर फ्रैबिक से किट बनाने का काम शुरू किया गया। मई में किट के तीन सैंपल टेस्टिग के लिए भेजे थे। जिनको तीन दिन में हरी झंडी मिल गई थी। किट की सिलाई इस तरह से की गई है कि उसमें कही से हवा अंदर न जा सके। सिलाई के बाद ऊपर से टेप लगाई गई है। किट रक्षा मंत्रालय के आदेशों के मुताबिक, आइएसओ 16603: 2004 कक्षा तीन या उससे अधिक होना चाहिए। किट तैयार करने में 15-20 कर्मियों की टीम लगी है। इस टीम को उत्तर रेलवे महाप्रबंधक की ओर से 25 हजार रुपये का पुरस्कार भी मिल चुका है। स्टाफ को ही सिट्रा से प्रमाणित पीपीई किट पहननी होगी : सिविल सर्जन

कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे चिकित्सकों व स्टाफ को पीपीई किट दी जा रही है। यह किट भी हरियाणा स्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से भिजवाई जा रही है। फील्ड में कार्य कर रहे स्टाफ को नियमानुसार पीपीई किट अनिवार्य नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग समाजसेवियों की ओर से दी जा रही किटों को इन्हें दे रहा है। हाई रिस्क एरिया में पीपीई किट का प्रयोग होता है। इसमें शू कवर से लेकर चश्मा व अप्रैन समेत सभी चीजें पहननी होती हैं। ये हैं गाइडलाइन

लो रिस्क : लो रिस्क की जगह पर कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क व ग्लब्स पहनना अनिवार्य है। इसमें तापमान नापने वाले कर्मचारी, एयरपोर्ट सिक्योरिटी, एंबुलेंस के ड्राइवर, आशा व आंगनबाड़ी वर्कर, क्वारंटाइन में रह रहे व्यक्ति के परिवार के सदस्य शामिल हैं।

मोडरेट रिस्क : मोडरेट रिस्क कैटेगरी में कार्य करने वाले स्टाफ व कर्मचारियों को एन-95 मास्क व ग्लब्स पहनना अनिवार्य है। इसमें सैनिटरी स्टाफ, स्क्रीनिग एरिया, डाक्टर चैंबर, वेटिग एरिया, अलग आइसोलेशन रूम, अन्य इमरजेंसी केसों को अटेंड करने वाले चिकित्सक व स्टाफ, पोस्टमार्टम हाउस से डेडबाडी निकालने वाला स्टाफ, फील्ड सर्विलांस क्लिनिकल एग्जामिन टीम शामिल हैं।

हाई रिस्क : हाई रिस्क कैटेगरी में आइसीयू या क्रिटिकल केयर, डेडबॉडी पैकिग करने वाले स्टाफ, एसएआरआइ के मरीज को अटैंड करने वाला स्टाफ,, एसआरआइ (कोरोना के लक्षण वाले) के मरीज के सैंपल लेने वाला स्टाफ को रखा गया है। इन सभी को पीपीई किट पहनना अनिवार्य है। इस पीपीई किट में चश्मा, फेस शील्ड मास्क, ग्लब्स, कवरआल, हेड कवर और शू कवर होता है।


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