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कोरोना महामारी में निभाया डाक्टर का फर्ज, बिना फीस लिए किया लोगों का उपचार

कोरोना महामारी में लोगों को सबसे ज्यादा इलाज की जरूरत थी। महामारी के डर से ज्यादातर डाक्टरों ने मरीजों को जांच करना भी बंद कर दिया था। डाक्टर ओपीडी देखते भी थे तो फीस डबल ली गई। तब बिलासपुर निवासी डाक्टर प्रमोद बसाती ने गरीब से लेकर हर वर्ग के लोगों का मुफ्त में उपचार कर मानवता की मिसाल पेश की। इस दौरान किसी से ओपीडी की फीस नहीं ली गई। इस कार्य के लिए चौतरफा उनकी प्रशंसा हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Aug 2021 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 15 Aug 2021 08:00 AM (IST)
कोरोना महामारी में निभाया डाक्टर का फर्ज, बिना फीस लिए किया लोगों का उपचार
कोरोना महामारी में निभाया डाक्टर का फर्ज, बिना फीस लिए किया लोगों का उपचार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कोरोना महामारी में लोगों को सबसे ज्यादा इलाज की जरूरत थी। महामारी के डर से ज्यादातर डाक्टरों ने मरीजों को जांच करना भी बंद कर दिया था। डाक्टर ओपीडी देखते भी थे तो फीस डबल ली गई। तब बिलासपुर निवासी डाक्टर प्रमोद बसाती ने गरीब से लेकर हर वर्ग के लोगों का मुफ्त में उपचार कर मानवता की मिसाल पेश की। इस दौरान किसी से ओपीडी की फीस नहीं ली गई। इस कार्य के लिए चौतरफा उनकी प्रशंसा हुई। उनके सेवा भाव को देखते हुए गणतंत्र दिवस समारोह में उन्हें एसडीएम ने सम्मानित किया। महामारी की दोनों लहर में किया मुफ्त उपचार :

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कोरोना महामारी की दो लहर आ चुकी हैं। दोनों ही लहर में डा. प्रमोद बसाती मरीजों का मुफ्त उपचार किया। जब पहली लहर आई थी तो अस्पताल पूरी तरह से बंद हो गए थे। कोई मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती नहीं था। क्योंकि सभी को महामारी फैलने का खतरा था। डाक्टरों ने अपनी ओपीडी बंद कर दी थी। खांसी, जुकाम, बुखार से ग्रस्त मरीजों की दिक्कत तब ओर ज्यादा बढ़ गई जब सरकार ने लाकडाउन लगा दिया। लोगों को कहीं भी उपचार नहीं मिल रहा था। तब डा. बसाती ने खुद के स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए लोगों को मुफ्त में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई। लोग आर्थिक रूप से तंग थे: प्रमोद बसाती

डा. प्रमोद बसाती ने बताया कि पहली लहर में जब लाकडाउन लगा था तो लोगों का रोजगार छीन गया था। उद्योग, फैक्ट्रियों व दुकानों पर ताला लग गया था। कोई काम न होने से जरूरतमंद लोगों भोजन भी संस्थाओं से लेकर खाना पड़ा। ऐसे में लोगों से इलाज के बदले फीस लेना ठीक नहीं था। डाक्टर का काम केवल फीस लेकर ही मरीज देखना नहीं है। डाक्टर का पहला धर्म मुसीबत में उनका उपचार करना है। उस वक्त उन्हें जो ठीक लगा वह किया। यह स्थिति दूसरी लहर में भी थी। परंतु इसमें लोगों को कुछ राहत जरूर मिली थी। क्योंकि शर्तों के साथ लोग अपने काम पर जा सकते थे। फिर भी काफी लोगों को अपने काम से हाथ धोना पड़ा। इसलिए दूसरी लहर में भी लोगों का ऐसे ही उपचार किया। बुखार, जुकाम व खांसी से ग्रस्त मिले लोग :

कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर में सबसे ज्यादा लोग बुखार, खांसी, जुकाम से ग्रस्त थे। काफी लोग ऐसे भी थे जिनमें कोराना वायरस के लक्षण थे। ऐसे लोगों को स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कोविड अस्पताल में भर्ती कराने में सहयोग किया। बिलासपुर के निवर्तमान सरपंच चंद्रमोहन कटारिया का कहना है कि कोरोना महामारी में डा. प्रमोद बसाती ने बीमार लोगों की काफी मदद की। इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए वह कम है। इस काम के लिए सभी लोग उनकी प्रशंसा करते हैं।


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