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नदी पार कर आदिबद्री माता मंत्रा देवी के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु

ये आस्था और दृढ़ विश्वास ही तो है जो सैकड़ों मील दूर से श्रद्धालुओं को यहां खींच लाती है। इतनी दूर से आकर और पहाड़ी पर चढ़कर माता के दर्शन करना इससे भी श्रद्धालुओं को थकावट महसूस नहीं होती। कपालमोचन में तीनों तीर्थो के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु सरस्वती उद्गम स्थल आदिबद्री में दर्शन करने पहुंच रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 06:36 AM (IST)
नदी पार कर आदिबद्री माता मंत्रा देवी के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु
नदी पार कर आदिबद्री माता मंत्रा देवी के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, कपालमोचन (यमुनानगर) : ये आस्था और दृढ़ विश्वास ही तो है, जो सैकड़ों मील दूर से श्रद्धालुओं को यहां खींच लाती है। इतनी दूर से आकर और पहाड़ी पर चढ़कर माता के दर्शन करना, इससे भी श्रद्धालुओं को थकावट महसूस नहीं होती। कपालमोचन में तीनों तीर्थो के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु सरस्वती उद्गम स्थल आदिबद्री में दर्शन करने पहुंच रहे हैं। मंदिर में माथा टेक कर श्रद्धालुओं ने मुरादें मांगी।

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आदिबद्री में माता मंत्रा देवी का मंदिर शिवालिक की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। समुद्र तल से मंदिर की ऊंचाई 1900 मीटर से अधिक है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सोम नदी पार करनी पड़ती है। हालांकि नदी में अभी इतना पानी नहीं है। नदी में बहते थोड़े पानी व पत्थरों से होते हुए श्रद्धालु जंगली रास्ते से होकर मंदिर में पहुंचते हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं ने माथा टेका। खास बात ये है कि पहाड़ी पर चढ़ने वालों में बुजुर्गों की संख्या भी कम नहीं है। लुधियाना से आई 70 वर्षीय जनक सिंह, 73 वर्षीय लखविद्र सिंह ने बताया कि वे सुबह माता मंत्रा देवी के दर्शन करने पहाड़ पर चढ़े थे। अब वहां से वापस लौटे हैं। चढ़ने में थोड़ी दिक्कत तो हुई, लेकिन आस्था के आगे सब नतमस्तक है। उन्होंने मांग की है कि हरियाणा की सरकार मंदिर जाने वाले रास्ते को सुगम बनाए, ताकि हर कोई आसानी से मंदिर में जाकर माता के दर्शन कर सके।

यहां आकर पत्थरों के घर बनाते हैं लोग

दूर-दूर से आकर लोग यहां पर पत्थरों से अपने घर बनाते हैं। मान्यता है कि यहां पत्थर से यदि घर बनाते हैं तो अपना घर बनाने की मनोकामना जरूर पूरी होती है। इसलिए लोगों में पत्थरों से घर बनाने की होड़ मची रहती है। मान्यता है कि सिधु वन के कण-कण में देवताओं का वास है। क्योंकि यहां पर लगभग सभी देवताओं ने तप किया है। इसलिए यहां आकर जो भी मन्नत मांगी जाती है वह जरूर पूरी होती है। बरनाला निवासी सुखवंत कौर ने बताया कि आदिबद्री में तो बहुत हरियाली हैं। कपालमोचन की बजाय यहां मौसम ठंडा है। यहां आकर उन्होंने सरस्वती उद्गम स्थल, श्री आदिबद्री नारायण व केदारनाथ मंदिरों के दर्शन किए।

आगे और भी सुविधाएं देंगे : गिरीश कुमार

मेला प्रशासक एवं बिलासपुर एसडीएम गिरीश कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास है कि कपालमोचन के साथ आदिबद्री मंदिर में भी श्रद्धालुओं को हर प्रकार की सुविधा मिले। आदिबद्री के विकास का प्लान तैयार कर रखा है। आने वाले समय में यहां पर सभी प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगी।


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