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अब छोटे-बड़े के फेर में उलझा 69 कॉलोनियों का विकास, टेंडर होल्ड

गत वर्ष नियमित हुई यमुनानगर-जगाधरी की 69 कॉलोनियों का विकास अब बड़े-छोटे टेंडर के फेर में उलझ गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:30 AM (IST)
अब छोटे-बड़े के फेर में उलझा 69 कॉलोनियों का विकास, टेंडर होल्ड
अब छोटे-बड़े के फेर में उलझा 69 कॉलोनियों का विकास, टेंडर होल्ड

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गत वर्ष नियमित हुई यमुनानगर-जगाधरी की 69 कॉलोनियों का विकास अब बड़े-छोटे टेंडर के फेर में उलझ गया है। दो बार रद हो चुके टेंडर को अब नगर निगम अधिकारियों ने होल्ड कर लिया है। अधिकारियों ने कालोनियों में निकासी व सड़कों के निर्माण के लिए 22 करोड़ रुपये का एक टेंडर लगाया है, जबकि पार्षद छोटे-छोटे टेंडर किए जाने की मांग पर अड़े हैं। छोटे टेंडर लगाने की फिलहाल अप्रूवल नहीं है और बड़े टेंडर के पक्ष में पार्षद नहीं है। हालांकि मेयर मदन चौहान ने छोटे टेंडर करवाने के लिए प्रस्ताव यूएलबी को भेजे जाने की बात कही है, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ। उधर, अधिकारी टेंडर रिकॉल करने की तैयारी में है।

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काम समय पर नहीं होंगे :

वार्ड नंबर-2 से पार्षद प्रवीण कुमार, वार्ड नंबर-13 से निर्मला चौहान, वार्ड नंबर-12 से संजीव कुमार, वार्ड नंबर-21 से अभिषेक मौदगिल, वार्ड-7 से राम आसरे, वार्ड नंबर-4 से देवेंद्र कुमार व पांच से विनय कांबोज ने कहा कि एक ही एजेंसी को सभी कार्यों के टेंडर अलॉट करने का निर्णय सही नहीं है। वार्ड वाइज टेंडर लगने चाहिए। एक ही एजेंसी पर काम होने पर काम समय पर पूरा नहीं होगा। वार्ड के हिसाब से टेंडर लगने पर काम पर निगरानी रखी जाएंगी। समय पर काम पूरा होने पर जनता को लाभ होगा। अलग-अलग टेंडर से ज्यादा रोजगार मिलेगा :

नगर निगम के कुछ ठेकेदार भी सिगल टेंडर के पक्ष में नहीं है। स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज को शिकायत भेजकर टेंडर रद किए जाने की मांग की है।

टेंडर सभी कॉलोनियों के है। यह टेंडर हर कॉलोनी का अलग-अलग होना चाहिए। यदि सिगल टेंडर लगाया जाता है तो 4-5 करोड़ रुपये राजस्व की हानि हो सकती है क्योंकि एक ठेकेदार मनमानी करेगा। दूसरा कॉलोनियों में करवाए जाने वाले काम भी समय पर पूरे नहीं हो पाएंगे। यदि कार्य अलग-अलग ठेकेदार को दिया जाए तो अधिक लोगों को रोजगार मिल सकेगा। सभी पहलुओं पर विचार किए बिना लगाए टेंडर :

अधिकारियों ने समय व गुणवत्ता सहित अन्य पहलुओं पर विचार किए बिना ही एक की टेंडर लगा दिया। अलग -अलग टेंडरों से अधिकारियों की कागजी कार्रवाई बढ़ जाती है। संपर्क भी सभी ठेकेदारों से रखना पड़ता। अब एक ही टेंडर का विरोध विपक्ष के अलावा सत्ता पक्ष के पार्षद भी कर रहे हैं। फिलहाल ये स्थिति

जिन कॉलोनियों को नियमित किया गया है, फिलहाल उनमें मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। सड़के कच्ची पड़ी हैं। पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। अधिकांश में पेयजल व स्ट्रीट लाइट भी नहीं है। थोड़ी सी बारिश होने पर गलियां जलमग्न हो जाती हैं। घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इनमें अधिकांश कॉलोनी 25-30 वर्ष से बसी हुई हैं। इन कॉलोनियों की आबादी करीब डेढ़ लाख है। एक वर्ष से टेंडर लगाने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन आज तक केवल टेंडर ही नहीं लग पाए। इन कॉलोनियों को किया गया था नियमित

गत सरकार के कार्यकाल में सीएम मनोहर लाल ने कांबोज कॉलोनी, ऊषा कॉलोनी, बावा कॉलोनी, भागीरथ कॉलोनी, इंद्रापुरम, उप्पल माल के पीछे स्थित कॉलोनी, प्यारे जी मंदिर के सामने कॉलोनी, गोबिद फार्म कॉलोनी, ग्रीन विहार पार्ट-2, महादुर्गेश्वरी कॉलोनी, सैनी फार्म वार्ड, शिवपुरी जगाधरी, ग्रीन विहार, गढी मुंडो टपरियां, जैन अवैन्यू, न्यू जैन नगर, बैंक कॉलोनी, राजीव गार्डन, त्यागी गार्डन, विशाल नगर, मोती बाग कॉलोनी, हनुमान कॉलोनी, मायापुरी, राजधानी कॉलोनी, शांति कॉलोनी, सुंदर नगर कॉलोनी, सुंदर विहार फेस-1, गधोली माजरी, कैलाश नगर, रूप नगर, शारदा कॉलोनी, जम्मू कॉलोनी, जोड़िया लाल डोरा के बाहर, शिव नगर, जवाहर नगर, नानक नगर, मंडेबर लाल डोरा के बाहर, आर्य नगर, अशोक विहार, बूटर विहार, मायापुरी, तेली माजरा, नील कंठ कॉलोनी, काली मंदिर एक्सटेंशन कॉलोनी, गांधी नगर, विशाल नगर, गीता कॉलोनी, प्रोफेसर कॉलोनी, रामेश्वर विहार, संजय विहार, गोल्डन पूरी, गधौली कॉलोनी, लाल विहार कॉलोनी, कामी माजरा लाल डोरे से बाहर वार्ड, पांसरा लाल डोरे से बाहर, शंभू कॉलोनी, ताजकपुर लाल डोरे से बाहर, तीर्थ नगर, दुर्गा विहार, पृथ्वी नगर, अंबेडकर नगर, कमल नगर, नंदा कॉलोनी, खड्डा कॉलोनी, शिवपुरी ब्लाक-2, अमरपुरी, प्रहलादपुरी, शिवपुरी ब्लाक-ए, शिवदयालपुरी, बूड़िया, भुरिया एवं भागवती कॉलोनी, रामनगर कांसापुर, राम नगर रेलवे वर्कशॉप, सुंदर विहार कॉलोनी को नियमित किया गया था। बैंक कॉलोनी मुकेश बैरागी, रमेश राणा, रविद्र कुमार, विक्की बांगड़ व अन्य का कहना है कि ये कॉलोनियां लंबे समय से सरकार की अनदेखी झेल रही हैं। बारिश होने पर सड़कों की हालत इतनी खराब हो जाती है कि घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। स्ट्रीट लाइट नहीं है। इन कॉलोनियों में सुविधाओं को लेकर कड़ा संज्ञान लेना चाहिए। 69 कॉलोनियों में विकास कार्यो के टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द इन कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं। मेयर व कमिश्नर से चर्चा के बात ही अगली प्रक्रिया पर काम होगा।

आनंद स्वरूप, एक्सईएन।


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