स्टेट्स-को के बावजूद कर दिया नगर निगम भवन का टेंडर
नगर निगम कार्यालय का नया भवन बनाने के लिए अधिकारियों ने जमीन पर स्टेट्स-को के बावजूद टेंडर कर दिए। यह भवन 27 करोड़ 88 लाख रुपये की लागत से बनाया जाना है। एक सितंबर को इसका सीएम मनोहर लाल ने इसका पत्थर रखा था, लेकिन इस जमीन पर भवन निर्माण के विरोध में गो¨बदपुरा वासियों ने पहले से ही कोर्ट से स्टे लिया हुआ है। उधर, निगम अधिकारियों का कहना है कि यह कोई बड़ा इश्यू नहीं है। इसका समाधान हो जाएगा। बता दें कि नगर निगम का मौजूदा कार्यालय जर्जर हो चुका है और यहां पार्किंग की भी बड़ी समस्या है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नगर निगम कार्यालय का नया भवन बनाने के लिए अधिकारियों ने जमीन पर स्टेट्स-को के बावजूद टेंडर कर दिए। यह भवन 27 करोड़ 88 लाख रुपये की लागत से बनाया जाना है। एक सितंबर को इसका सीएम मनोहर लाल ने इसका पत्थर रखा था, लेकिन इस जमीन पर भवन निर्माण के विरोध में गो¨बदपुरा वासियों ने पहले से ही कोर्ट से स्टे लिया हुआ है। उधर, निगम अधिकारियों का कहना है कि यह कोई बड़ा इश्यू नहीं है। इसका समाधान हो जाएगा। बता दें कि नगर निगम का मौजूदा कार्यालय जर्जर हो चुका है और यहां पार्किंग की भी बड़ी समस्या है।
इनसेट
चार एकड़ में बनना है कार्यालय का भवन
नगर निगम अंतर्गत आने वाले गो¨वदपुरा गांव में चार एकड़ जमीन नगर निगम कार्यालय के लिए चिन्हित की गई है। यहां करीब तीन एकड़ में जोहड़ है। बीसी चौपाल, वृद्ध आश्रम व जोगीनाथ धर्मशाला भी यहीं है। एक सितंबर को सीएम मनोहर लाल ने नगर निगम कार्यालय का किया। उसके बाद ग्रामीणों के बीच गतिविधियां और भी तेज हो गई।
यह बोले ग्रामीण
गो¨वदपुरा निवासी विनोद कुमार व अनिल कुमार ने बताया कि ग्रामीण इस पक्ष में नहीं हैं कि यहां नगर निगम कार्यालय बने। क्योंकि विभिन्न आयोजनों के लिए ग्रामीणों को भी जमीन चाहिए। हालांकि यहां पहले से ही पंचायत भवन व सैनिक भवन बना हुआ है, लेकिन किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए उनको छूट नहीं दी जाती। वर्ष-2016 में हाउस की बैठक में प्रस्ताव आने के बाद इस फैसले के खिलाफ ग्रामीणों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने याचिका को मंजूर करते हुए जमीन पर निगम कार्यालय के लिए निर्माण पर स्टेट्स-को लगा दिया था।
जर्जर हो चुका पुराना कार्यालय
जानकारी के मुताबिक 1966-67 तक कमेटी कार्यालय रादौर रोड़ पर हुआ करता था। बाद में जगाधरी रोड़ पर भवन बनने के बाद यहां शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन समय की करवट के साथ भवन पुराना होता चला गया। अब जिस ब्लाक में निगम कमिश्नर व कार्यकारी अधिकारी बैठते हैं, वहां तो भवन ठीकठाक स्थिति में है, लेकिन मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने वाला हिस्सा बिल्कुल ही जर्जर हो चुका है। कई अधिकारी इस ब्लाक में बैठते हैं और सुबह से शाम तक किसी न किसी कार्य के लिए आए लोगों को तांता लगा रहता है। मौजूदा हालात ऐसे हैं कि लैंटर टूटकर नीचे गिरने लगा है।
आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा कार्यालय
नगर निगम का नया भवन तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। यहां मेयर, डिप्टी मेयर व सीनियर डिप्टी मेयर के बैठने के लिए अलग से कमरा होगा। यह भवन अत्याधुनिक शैली और आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। निगम के इंजीनियरों द्वारा इस भवन का आर्किटेक्चर भविष्य की संभावनाओं और जरूरत को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है ताकि आने वाले समय में जनता को बेवजह की दिक्कतों का सामना करना पड़े। भवन में ही मी¨टग हाल, कांफ्रेस रूम व लोगों की सुविधाओं को विशेष ख्याल रखा जाएगा। भवन के बेसमेंट में पार्किंग की व्यवस्था होगी और 300 गाड़ियों की पार्किंग हो सकेगी।
गलत हुआ है शिलान्यास, निर्माण हुआ तो कोर्ट की अवमानना
एडवोकेट साहब ¨सह गुर्जर का कहना है कि विवादित जमीन पर शिलान्यास नहीं हो सकता। इस जमीन पर स्टेट्स को लगा है। निर्माण किया तो कोर्ट की अवमानना होगी। अधिकारियों को इस बारे में पहले सोचना चाहिए था। अधिकारियों की लापरवाही से निर्माण प्रक्रिया लटक सकती है।
वर्जन
जिस जमीन पर नगर निगम कार्यालय के भवन का शिलान्यास हुआ है, उस पर स्टेट्स-को की जानकारी मिली है। यह कोई बड़ा इश्यू नहीं हैं। इस का समाधान हो जाएगा। यहां नगर निगम कार्यालय बनने से पूरे शहर को फायदा होगा।
दीपक सूरा, कार्यकारी अधिकारी, यमुनानगर।