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पीला रतुआ की रोकथाम को लेकर विभाग मुस्तैद, किसान भी करते रहें फसल का नियमित निरीक्षण : डॉ. राकेश

दिन का तापमान अधिक व मौसम में आद्रता किसानों की चिता बढ़ा रही है। गेहूं की फसल में पीला रतुआ की संभावना बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 07:45 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 07:45 PM (IST)
पीला रतुआ की रोकथाम को लेकर विभाग मुस्तैद, किसान भी करते रहें फसल का नियमित निरीक्षण : डॉ. राकेश
पीला रतुआ की रोकथाम को लेकर विभाग मुस्तैद, किसान भी करते रहें फसल का नियमित निरीक्षण : डॉ. राकेश

दिन का तापमान अधिक व मौसम में आद्रता किसानों की चिता बढ़ा रही है। गेहूं की फसल में पीला रतुआ की संभावना बढ़ गई है। नमी वाले जिलों में विशेष रूप से सजग रहने की जरूरत है। यमुनानगर की बात की जाए तो अब से पहले 3 एकड़ में लक्षण देखे जा चुके हैं। इसके अलावा अंबाला, पंचकूला व कुरुक्षेत्र में भी दस्तक दे चुका है। बचाव के लिए किसान क्या एहतियात बरतें व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर फसल को सुरक्षित रखने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं, इन सभी बातों को दैनिक जागरण संवाददाता संजीव कांबोज ने विभाग के अतिरिक्त पौधा संरक्षण अधिकारी डॉ. राकेश कुमार जांगड़ा से बातचीत की। बातचीत के अंश इस प्रकार हैं :- सवाल : जिले में कुल कितने रकबे में गेहूं की फसल है और पीला रतुआ की क्या स्थिति है?

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जवाब : 90 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खड़ी है। अब तक बिलासपुर के मुगलवाली गांव में 3 एकड़ में पीला रतुआ के लक्षण सामने आए। विभागीय टीम नियमित रूप से खेतों में जाकर जांच कर रही है। सवाल : किन क्षेत्रों में पीला रतुआ की संभावना अधिक रहती है?

जवाब : नमी वाले क्षेत्रों में पीला रतुआ की संभावना अधिक रहती है। यमुना, मार्कण्डेय व सरस्वती नदी के साथ वाले किसानों को विशेष रुप से सतर्क रहने की जरुरत है। सवाल : खेत में इसकी पहचान कैसे की जा सकती है?

जवाब : यदि खेत में गेहूं के पत्तों का रंग पीला हो जाए और हाथ से छूने पर हल्दी नुमा पाउडर हाथ पर लग जाए तो समझिए पीला रतुआ है। यह पैचेज में आता है। सवाल : क्या अन्य किसी कारण के चलते भी गेहूं का रंग पीला हो सकता है।

जवाब : हां, बिल्कुल । इन दिनों नमी की मात्रा अधिक व रुक रुककर हुई बारिश के कारण गेहूं का रंग पीला हो रहा। ऐसा काफी एरिया में देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान परेशान न हों। खेत में सल्फर डाल दें। नमी दूर हो जाएगी और फसल पर रंगत आएगी। सवाल : यदि पीला रतुआ हो तो किसान बचाव के लिए क्या करें?

जवाब : बचाव के लिए किसान फफूंदनाशक टैबूकोनाजोल व प्रोपिकॉनजोल का छिड़काव कर सकते हैं। प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 250 एमएल दवाई डालकर स्प्रे करें। यदि मौसम खराब हो तो चिपकू अवश्य डाल लें। सवाल : गत वर्ष कितने रकबे में इसके लक्षण देखे गए थे?

जवाब : 50 एकड़ में पीला रतुआ के लक्षण देखे गए थे। किसान फसल की नियमित रूप से जांच करते रहें। शुरुआती दौर में दवाई का छिड़काव कर इस पर तुरंत काबू पाया जा सकता है। यदि फैल जाए तो भारी नुकसान का कारण बन सकता है। सवाल : कब तक इसके फैलने की संभावना अधिक रहती है?

जवाब : इस बार पीला रतुआ के लक्षण हर साल से जल्दी देखे गए हैं। आमतौर पर फरवरी के पहले सप्ताह में इसके आने की संभावना रहती है। इस बार नमी की मात्रा अधिक होने के कारण 15 जनवरी को ही इसके लक्षण देखे जा चुके हैं। जैसे ही मौसम सामान्य होगा, इसकी संभावना कम हो जाएगी। सवाल : क्या विभाग की ओर से किसानों को अनुदान पर दवाई देने की योजना है?

जवाब : नहीं, फिलहाल ऐसे कोई आदेश नहीं आए हैं। किसानों को खेतों में जाकर समझाया जा रहा है। उनको बीमारी से बचाव बारे बताया जा रहा है। सवाल : इन दिनों गन्ने के खेत खाली हो रहे हैं। किसान किस फसल की बिजाई कर सकते हैं?

जवाब : किसान सूरजमुखी व मक्का की बिजाई कर सकते हैं। दोनों फसलें अच्छी हैं। लागत भी कम आती है और पैदावार भी अच्छी होती है।


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