माता-पिता इंतजार करते रहे, नजरें झुकाए सामने से गुजर गई दूसरे धर्म में निकाह करने वाली बेटी
माता-पिता को उम्मीद थी कि बेटी कोर्ट में तो उनसे बात करेगी लेकिन बेटी आंखें झुकाए सामने से गुजर गई। बेटी ने दूसरे धर्म के युवक से निकाह कर लिया।
जेएनएन, यमुनानगर। संघ कार्यकर्ता अपनी पत्नी के साथ कोर्ट में पहुंचे। उन्हें उम्मीद थी कि बेटी उनसे बात करेगी और कोर्ट उनकी कस्टडी में बेटी को सौंप देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक बार फिर बुधवार की तारीख लग गई। इसके अलावा नबील को बुधवार दो बजे तक पेश होने के आदेश दिए।
एसीजेएम गगनदीप मित्तल की कोर्ट के बाहर संघ कार्यकर्ता और उसकी पत्नी आंखों में आंसू लिए बैठे रहे। सुनवाई के बाद जब लड़की को नारी निकेतन ले जाने लगे, तो उसने अपने माता-पिता की ओर देखा तक नहीं। मां ने जरूर मिलने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने रोक दिया। नजरें झुकाए बेटी उनके सामने से निकल गई।
पुलिस दोपहर करीब एक बजे कोर्ट में संघ कार्यकर्ता की बेटी को करनाल नारी निकेतन से लेकर पहुंची। जज के सामने पेश किया। इस मामले की संजीदगी को देखते हुए जांच अधिकारी सीआइए टू इंचार्ज श्रीभगवान यादव को भी कोर्ट ने इस बारे में आलाधिकारियों से राय लेने के आदेश दिए। एसपी से मिलने के बाद यादव ने बताया कि पुलिस हर तरह से कानून व्यवस्था संभालने व सुरक्षा देने में सक्षम है। कोर्ट जो भी आदेश देगा उसका पालन होगा।
सीआइए वन, सीआइए टू, डिटेक्टिव स्टाफ के अलावा मामले की जांच के लिए बनाई एसआइटी के इंचार्ज डीएसपी आशीष चौधरी भी यहां पहुंचे। कोर्ट में नबील के अधिवक्ता राजेश धीमान और लड़की के परिवार के अधिवक्ता पहुंचे। करीब 20 मिनट तक बहस चली। इस दौरान नबील की बहन और मां को भी बुलाया गया। सुनवाई के बाद सभी को कोर्ट ने बाहर कर दिया। इसके बाद अंदर लड़की के पिता को बुलाया। कुछ देर बाद वह भी निकल आए। फिर अधिवक्ता अपने-अपने चैंबरों में चले गए। करीब 15-20 मिनट बाद फिर से कोर्ट ने नबील के अधिवक्ता को बुलवाया।
लड़के के हक में हैं 164 के बयान : धीमान
अधिवक्ता राजेश धीमान ने बताया कि उनकी ओर से तर्क रखा गया कि लड़की ने लड़के के हक में 164 के बयान दिए हैं। इसलिए लड़की को नबील की कस्टडी में दिया जाना चाहिए। कोर्ट में इस तरह के मामलों में कानूनी प्रावधान के दस्तावेज भी रखे गए। जिस पर कोर्ट ने नबील को पेश होने के आदेश दिए हैं। उधर, लड़की के परिजनों के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि कोर्ट में मूल दस्तावेज पेश किए जाएं।