माता-पिता से बड़ा कोई तीर्थ नहीं है : भारती
श्रीराम कथा व्यक्ति और समाज के प्ररेणा का सबसे बड़ा स्रोत है। माता पिता से बड़ा कोई तीर्थ नहीं है। गुरु का महत्व पहले भी और आज भी आगे ही रहेगा।
संवाद सहयोगी, बिलासपुर : श्रीराम कथा व्यक्ति और समाज के प्ररेणा का सबसे बड़ा स्रोत है। माता पिता से बड़ा कोई तीर्थ नहीं है। गुरु का महत्व पहले भी और आज भी आगे ही रहेगा। अच्छी सोच अच्छे विचारों की धारा प्रवाहित हो। यही राम कथा का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होना चाहिए। ये प्रवचन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा वेद व्यास भवन बिलासपुर में आयोजित सात दिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन सुश्री श्यामा भारती ने दिए। दूसरे दिन मुख्य रूप से छछरौली पूर्व विधायक अर्जुन सिंह , ब्लाक समिति सदस्य योगेश मेहंदीरत्ता ने कथा का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया। भारती ने कहा कि श्री राम चरित मानव में आदर्श जीवन क सीख दी गई है। जिसे अपनाने से ही सार्थकता है।
भारती ने प्रभु श्री राम के दिव्य प्राकट्य का वर्णन करते हुए कहा कि ईश्वर अनादि, अजन्मा है। धरा पर जब-जब धर्म की हानि होती है, अधर्म में वृद्धि होती है। तब-तब ईश्वर परमात्मा को धरा पर अवतार धारण का रूप धारण कर उद्वार करते हैं। जिस प्रकार से एक ट्रेन पटरी पर से उतरती है तो उसे दोबारा पटरी पर स्थापित करने के लिए क्रेन आती है। इसी तरह जब मनुष्य का जीवन धर्म पथ से हट जाता है तो ईश्वर का अवतरण होता है। उसको पुन: धर्म के पथ पर ले जाने के लिए। प्रभु श्रीराम के जन्म को रसमय ढंग से व्यक्त किया।
साथ ही समझाया कि प्रभु का प्राकट्य प्रत्येक जीव के जीवन में भी हो सकता है। तभी जीव का जीवन सफल होगा। मौके पर प्रमोद वर्मा, पुरुषोतम शर्मा, जंगशेर सिंह, रमेश गुर्जर, सतपाप, संजय राणा, शिव कौशिक आदि मौजूद रहे।