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गायें खाएंगी खास अचार और फिर बहेगी दूध की धार, हरियाणा के किसान ने किया तैयार

हरियाणा के एक किसान ने दूध उत्‍पादन के लिए अनोखा चारा बनाया है। गायें अब मक्‍के का आचार खाएंगी। इससे उनका दूध भी बढ़ेगा और चारे की समस्‍या का भी समाधान होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 05:35 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 09:41 AM (IST)
गायें खाएंगी खास अचार और फिर बहेगी दूध की धार, हरियाणा के किसान ने किया तैयार
गायें खाएंगी खास अचार और फिर बहेगी दूध की धार, हरियाणा के किसान ने किया तैयार

यमुनानगर, [राजेश कुमार]। हरियाणा के एक किसान ने कमाल कदम उठाया है और दूध उत्‍पादन बढ़ाने के लिए एक किसान ने गायों के लिए खास आहार तैयार किया है। हरियाणा में गायें विशेष आचार खाएंगी और इससे दूध की धार बहेगी। यमुनानगर के इस किसान ने मक्‍के का आचार बनाया है।

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दूध की धार बहाने और लेबर खर्च कम करने के लिए गांव चौराही के नरेश कुमार ने गायों के लिए अचार तैयार करते हैं। वैसे अचार का उपयोग भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन यह अचार स्वादिष्ट होने के साथ साथ पौष्टिक भी है जो हरे चारे से बनाया जाता है। देसी भाषा में इसे पशुओं का अचार कहते हैं, वैसे इसका नाम 'साइलेज' है।

डेयरी में 150 गायों के लिए तैयार कर रहे 12 हजार क्विंटल साइलेज

इस विधि से पशुओं को हरा चारा सालभर उपलब्ध रहता है। प्रगतिशील किसान नरेश कुमार दो साल से मक्का से 'साइलेज' बना रहे हैं। जब से अचार बनाना शुरू किया है तब से डेयरी में 150 गायों को हरे चारे की कमी नहीं रही। जिससे फायदा ये हुआ कि दूध उत्पादन बढ़ गया। जिन किसानों से मक्का खरीदा जाता है वे एडवांस में एक साल पहले ही अपने मक्का की उनके पास बुकिंग करवा जाते हैं।

12 हजार क्विंटल साइलेज तैयार

साइलेज ज्वार, मक्का, नेपियर घास, बरसीम से तैयार होता है। साइलेज में भी हरे चारे की तरह ही उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट व सूक्ष्म पोषक होते है। नरेश कुमार केवल मक्का से साइलेज तैयार कर रहे हैं। मक्का की फसल को पकने से पहले ही काटना होता है। फिर इसे कटर मशीन की मदद से चारे की तरह छोटे टुकड़ों में गड्ढे में दबा देते हैं जिसे साइलोपिट कहते हैं।

नरेेश बताते हैं कि साइलोपिट में नीचे पालीथिन छाई जाती है। इसका निर्माण ऐसी जगह करते हैं जहां बरसात का पानी जमा न हो। गड्ढे में इसे ट्रैक्टर से दबाकर सारी हवा निकाल दी जाती है। फिर इसे पोलिथिन से अच्छी तरह कवर कर दिया जाता है ताकि इसमें हवा व पानी न जा सके। नरेश कुमार ने बताया कि 12 हजार क्विंटल साइलेज तैयार कर रहे हैं। इसके लिए 12 से 15 फुट गहरा व करीब 60 फुट लंबे तीन गड्ढे खोदे हैं।

पशुओं लिए तैयार किए गए मक्‍के के अचार के बारे में जानकारी देते किसान नरेश कुमार।

भूसे से 30 से 40 प्रतिशत सूख जाता दूध

पशुपालन विभाग के सेवानिवृत उपनिदेशक डा. सत्यबीर सिंह ने बताया कि गर्मियों में हरे चारे की कमी से पशुओं का दूध 30 से 40 प्रतिशत सूख जाता है, क्योंकि वे केवल भूसा खाते हैं। कुछ पशुपालक चना या मिक्सचर खिलाकरइस कमी को कोशिश पूरा कर लेते हैं। चना लगातार खिलाने से पशु को गैस हो जाती है। पशु को एक वक्त चना भले न मिले लेकिन हरा चारा जरूर देना चाहिए। साइलेज से हरे चारे की कमी सालभर पूरी हो सकती है। मक्का पशुओं की सेहत के लिए लाभकारी है जिससे दूध नहीं सूखता।

लेबर का खर्च कम हो गया : नरेश

नरेश कुमार ने बताया कि डेयरी में गायों के लिए खेत से चारा लाने से काट काटना व पशुओं को डालने में पहले आठ से 10 लोगों की लेबर चाहिए थी। परंतु अब साइलेज में यह काम तीन लोगों ही कर सकते हैं। उसने इंटरनेट पर चारे की कमी का समाधान खोजा था जिसमें उसे साइलेज के बारे में पता चला।

नरेश कुमार बताते हैं गत वर्ष इसका ट्रायल किया जो सफल रहा। जितना साइलेज चाहिए उतना पोलिथिन हटा कर ट्राली में ले आते हैं। पशु भी इसे चाव से खाते हैं। हरे चारे की समस्या से निजात पाते का यह सबसे आसान तरीका है। दो माह में यह खाने के लिए तैयार हो जाता है।


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