पुलिस की कहानी ने पूरे अभियोजन पक्ष को कमजोर पायदान पर खड़ा कर दिया : कोर्ट
ट्रांसफार्मर से पार्ट्स चोरी के दो मामलों में सबूतों की कमी व पुलिस की कहानी ने पूरे अभियोजन पक्ष को कमजोर पायदान पर खड़ा कर दिया। कोर्ट ने यह टिप्पणी ट्रांसफार्मर के पार्ट्स चोरी केस की सुनवाई करते हुए की।
शैलजा त्यागी, जगाधरी : ट्रांसफार्मर से पार्ट्स चोरी के दो मामलों में सबूतों की कमी व पुलिस की कहानी ने पूरे अभियोजन पक्ष को कमजोर पायदान पर खड़ा कर दिया। कोर्ट ने यह टिप्पणी ट्रांसफार्मर के पार्ट्स चोरी केस की सुनवाई करते हुए की। जठलाना थाना के गांव कंड्रोली व प्रतापनगर थाना के गांव लासाबाद के खेतों से ट्रांसफार्मर के पार्ट्स चोरी के अलग-अलग मामले में पुलिस ने कोर्ट में जो कहानी पेश की, वह धराशायी हो गई। बिजली निगम के अधिकारी भी कोर्ट में साबित नहीं कर पाए कि आरोपित से जो सामान बरामद किया गया है, वह बिजली निगम का ही है। पुलिस ने आरोपितों से सामान बरामद करते समय मौके का कोई गवाह नहीं बनाया। कोर्ट ने रिकवरी पर ही प्रश्न चिह्न लगा दिया। मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश अमरिद्र शर्मा की कोर्ट ने छोटा बांस निवासी साजन व शाह हुसैन को दोनों केसों में बरी कर दिया। एडवोकेट अजय शांडिल्य व एडवोकेट सचिन भारद्वाज ने बचाव पक्ष की पैरवी की। केस नंबर एक-
सात अक्टूबर 2017 की रात को गांव कंड्रोली के किसान प्रेम सिंह के खेतों में लगे 16 केवीए ट्रांसफार्मर से तांबें की तार, लोहे की रॉड, ट्रांसफार्मर से तेल चोरी व अन्य सामान चोरी हो गया था। किसान के बेटे विकास ने बिजली निगम के अधिकारियों को इस बारे में सूचना दी। बिजली निगम के एसडीओ धर्मबीर सिंह की शिकायत पर जठलाना थाने में 14 अक्टूबर 2017 को अज्ञात में केस दर्ज हुआ। केस नंबर दो-
29 नवंबर 2017 की रात को प्रतापनगर थाना क्षेत्र के गंाव लासाबाद के कंवरपाल के खेतों में लगे 16 केवीए ट्रांसफार्मर से तांबें की तार, लोहे की रॉड, ट्रांसफार्मर से तेल चोरी व अन्य सामान चोरी हो गया था। पुलिस ने पांच दिसंबर 2017 को एसडीओ सुनील कुमार की शिकायत पर अज्ञात में केस दर्ज हुआ । कस्टडी में स्वीकार की थी वारदात
एडवोकेट अजय शांडिल्य ने बताया कि दोनों आरोपित किसी अन्य केस में पुलिस कस्टडी में थे। उनके मुताबिक अनट्रेस केस को सॉल्व करने के लिहाज से रिकवरी प्लांट की गई। पुलिस ने दावा किया कि पूछताछ में आरोपितों ने वारदात स्वीकार की। उनके घर के पास घास में से बिजली की तार बरामद की। कोर्ट ने जब पुलिस ने पूछा कि चोरी 29 नवंबर को हुई और बरामदगी 14 दिसंबर को तो कोई इतने दिनों तक सामान को घर के पास क्यों छुपा कर रखेगा। इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। पुलिस ने कोई स्वतंत्र गवाह शामिल नहीं किया। जिस कारण कोर्ट ने पुलिस की दलील को नकार दिया। कोर्ट ने यह भी माना कि पुलिस ने केस देरी से दर्ज किए।