निगम ने सेक्टर-17 में इंटरलॉक टाइलों से सड़क बनाने के लगाए टेंडर, विरोध में आई एसोसिएशन
जागरण संवाददाता यमुनानगर सेक्टर-17 की 90 फीसद सड़कें टूटी पड़ी हैं। सेक्टर की सड़क
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सेक्टर-17 की 90 फीसद सड़कें टूटी पड़ी हैं। सेक्टर की सड़कें इंटरलॉक टाइलों व मेटल के बीच में उलझ कर रह गया है। नगर निगम के अधिकारियों ने कुछ सड़कों को इंटरलॉक टाइलों से बनाने के लिए टेंडर लगाया है, जबकि सेक्टर के लोग टाइलों से सड़क बनाने के विरोध में हैं। सड़कें टूटने का खामियाजा सेक्टर में रहने वाले लोग भुगत रहे हैं। उधर, वार्ड के पार्षद राम आसरे का कहना है कि टूटी सड़कों के लिए नगर निगम के अधिकारी जिम्मेदार हैं। जब भी टूटी सड़कों के बारे में पूछता हूं तो मुझे गुमराह करते हैं। चलने लायक नहीं रही सड़कें : पहले सेक्टर की देखरेख शहरी संपदा द्वारा की जाती थी। बाद में सेक्टर को निगम को हैंडओवर कर दिया गया। गत वर्ष निगम ने 99 लाख रुपये से हुडा डिस्पेंसरी से लेकर जिला न्यायालय तक की मुख्य सड़क, गुरुद्वारा रोड व जिमखाना के सामने वाली सड़क को बनवाया था, परंतु मुख्य रोड से जितने भी लिक रोड हैं उनमें 90 फीसद टूटे पड़े हैं। ऐसी सड़कों की संख्या 35 से 40 है। सड़कों की हालत इतनी खस्ता है कि इन पर चलना मुश्किल हो गया है। पानी की निकासी नहीं है। लोगों के घरों से निकलने वाला पानी भी सड़कों पर ही खड़ा रहता है। पानी के कारण टाइलों से बनवा रहे सड़क : नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि लोग अपनी गाड़ियों को घर के बाहर खड़ी कर पानी के पाइप से धोते हैं। इसके अलावा घरों का फर्श धोने में जितना पानी प्रयोग हो रहा है वह भी सारा सड़क पर ही खड़ा होता है। पानी के कारण मेटल रोड जल्दी टूटने लगती है। आठ से 10 सड़कें ऐसी हैं जो पानी की वजह से टूट गई हैं। निगम निगम के एक्सइएन रवि ओबराय का कहना है कि अभी तीन सड़कों को इंटरलॉक टाइलों से बनाने के लिए 24 लाख रुपये का टेंडर लगाया है। क्योंकि यहां मेटल की सड़क बनाई तो पानी से दोबारा टूट जाएगी। बाकी सड़कों को भी बजट की उपलब्धता के अनुसार जल्द बनवाया जाएगा। टाइलों पर होंगे हादसे : डीसी बिदल सेक्टर-17 एसोसिएशन के प्रधान डीसी बिदल का कहना है कि सेक्टर के लोग इंटरलॉक टाइलों से सड़क बनवाने के पक्ष में नहीं हैं। क्योंकि अभी तक जहां भी सड़कें लगी हैं वह कामयाब नहीं हुई। टाइलें कईं जगहों से जमीन में धंस जाती हैं। जिनमें पांव में मोच आने का खतरा रहता है। दूसरा दोपहिया वाहन भी इन पर नहीं चल पाएगा। जिससे लोगों की परेशानी कम होने की बजाय ओर ज्यादा बढ़ जाएगी। इसलिए सेक्टर में मेटल रोड ही बनाई जाएं। हर बार नया जेई व एमई मिलता है : राम आसरे पार्षद राम आसरे का कहना है कि सेक्टर-17 मेरे वार्ड में है। मैं जब भी सड़कें बनाने के लिए निगम कार्यालय जाता हूं तो अधिकारी हर बार गुमराह करते हैं। हर बार एक नया जेई व एमई मिलते हैं। जो जेई सड़कों का एस्टीमेट बनाते हैं उसे कहीं ओर लगा देते हैं। नए जेई को इसके बारे में कुछ पता नहीं होता। लोगों से कई बार कहा है कि वह सड़कों पर गाड़ी पानी से न धोएं, परंतु वह नहीं सुनते। इसलिए कईं सड़कों को टाइलों से बनाने की जरूरत है।