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अदालत का दुष्‍कर्म के मामले में बड़ा फैसला, कहा- सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं

यमुनानगर की अदालत ने दुष्‍कर्म के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध दुष्‍कर्म नहीं है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 09:44 AM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 11:44 AM (IST)
अदालत का दुष्‍कर्म के मामले में बड़ा फैसला, कहा- सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं
अदालत का दुष्‍कर्म के मामले में बड़ा फैसला, कहा- सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं

जगाधरी (यमुनानगर), जेएनएन। यहां अदालत ने दुष्‍कर्म के एक मामले में अहम फैसला दिया है। अदालत ने कहा कि सहमति से बनाया गया शारी‍रिक संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। ऐसी युवती या महिला अपना  भला-बुरा भली भांति जानती है। इसके साथ ही अदालत ने एक मामले में आरोपित व्‍यकित को दुष्‍कर्म के आरोप से बरी कर दिया। एक युवती ने एक व्‍यक्ति पर शादी का झांसा देकर एक साल तक दुष्‍कर्म करने का आरोप लगाया था।

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अदालत ने सिविल अस्‍पताल के सुपरिंटेंडेंट को दुष्‍कर्म के मामले में बरी किया

अदालत ने इस मामले में फैसला देते हुए कहा कि पिछले एक साल से संबंध में रहने के बावजूद पीडि़ता ने वारदात के तीन महीने बाद केस दर्ज कराया है, जो कि संदिग्ध है। इस टिप्पणी के साथ फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज पायल बंसल ने यमुनानगर सिविल अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट व हरियाबांस निवासी अजय त्यागी को बरी कर दिया।

यमुनानगर सिविल अस्पताल में कार्यरत एक महिला कर्मचारी की शिकायत पर 31 जुलाई 2016 को महिला थाना पुलिस ने अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट अजय त्यागी के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज किया था। पीडि़ता के मुताबिक 24 अप्रैल 2016 की रात उसके परिजन शादी में गए हुए थे। वह घर में अकेली थी। इस दौरान अजय वहां आ गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।

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शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया था कि पिछले एक साल से अजय उसे शादी का झांसा देकर दुष्कर्म कर रहा है। एडवोकेट विनोद अरोड़ा ने बताया कि पीडि़ता ने शिकायत में कहा कि 24 अप्रैल 2016 की रात को करीब आठ बजे उसके साथ दुष्कर्म हुआ। उस दिन रात के आठ बजे से लेकर अगले दिन सुबह आठ बजे तक अजय त्यागी सिविल अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात थे।

पीडि़ता ने शिकायत में कहा कि घटना के समय वह मकान में अकेली थी। जांच में पाया गया कि उस मकान में एक किरायेदार भी रहता है। वहीं पीडि़ता का भाई भी दिल्ली से आया हुआ था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपित को बरी कर दिया।

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