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गन्ने का बकाया भुगतान देने के लिए अब कांग्रेस ने खोला मोर्चा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गन्ने का बकाया भुगतान किसानों को दिलाने के लिए अब कांग्रेस भी

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 06:00 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 12:01 AM (IST)
गन्ने का बकाया भुगतान देने के लिए अब कांग्रेस ने खोला मोर्चा
गन्ने का बकाया भुगतान देने के लिए अब कांग्रेस ने खोला मोर्चा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गन्ने का बकाया भुगतान किसानों को दिलाने के लिए अब कांग्रेस भी समर्थन में आ गई है। बृहस्पतिवार को पूर्व विधायक बीएल सैनी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बृजपाल छप्पर की अगुवाई में शुगर मिल प्रबंधकों और सरकार के खिलाफ रोष मार्च निकाला गया। इस दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। बाद में सीएम के नाम ज्ञापन डीसी गिरीश अरोड़ा को दिया गया। ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि यदि जल्द किसानों को भुगतान नहीं हुआ, तो बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

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बीएल सैनी ने कहा कि एक तरफ सरकार किसान हितैषी होने का दावा कर रही है, तो दूसरी ओर किसानों के लिए शुगर मिलों को पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। सरकार के मंत्री शुगर मिल के अधिकारियों और किसान नेताओं को झूठा आश्वासन दे रहे हैं। 12 अप्रैल से किसानों को गन्ना भुगतान नहीं हुआ है, जबकि गन्ने के पैसे से ही किसान अगली फसल की तैयारी करते हैं।

कांग्रेस नेता बृजपाल छप्पर ने कहा कि किसान पहले से ही परेशान हैं, क्योंकि खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा बनी हुई है। चार साल से किसान और कर्जदार बन गए हैं। किसानों को अपनी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। हर साल किसानों के गन्ने का भुगतान शुगर मिल रोक देती है, जिससे उन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है।

ब्याज सहित मिले भुगतान

कांग्रेसियों की ओर से सीएम के नाम दिए गए ज्ञापन में मांग की गई है कि किसानों को गन्ने का भुगतान ब्याज सहित दिया जाए, क्योंकि किसानों को ब्याज पर पैसे लेकर अगली फसल तैयार की है। किसानों ने शुगर मिल को अपना गन्ना दिया। उन्हें समय पर भुगतान हो जाना चाहिए था। सरकार को भी किसानों की हालत देखते हुए जल्द से जल्द पैसे देने चाहिए, जिससे किसानों की समय से पेमेंट हो जाए।

रिपोर्ट भी नहीं हुई लागू

कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर जानबूझकर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू न करने का आरोप लगाया। भाजपानेता स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू कराने के लिए खुद प्रदर्शन करते थे। अब सत्ता में आने के बाद भाजपा नेता इस रिपोर्ट को लागू कराने से पीछे हट रहे हैं। यह भाजपा की दोहरी मानसिकता है।


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