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जिद पर कांग्रेसी नहीं खुला इंटक का ताला, बाहर ही चल रहा दफ्तर

राजनीतिक माहौल बदलने के लिए भले ही विभिन्न दलों के स्टार प्रचारक मैदान में उतर आए हों लेकिन कांग्रेसियों की गुटबाजी बरकरार है। टिकट न मिलने के 10 दिन भी इंटक का ताला नहीं खुला है। यमुनानगर विधानसभा सीट पर सबको पछाड़कर टिकट हासिल करने वाली निर्मल चौहान के लिए इंटक कार्यालय के दरवाजे नहीं खुले। खुलवाने के लिए धरना भी दिया लेकिन हल नहीं हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 06:20 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 06:20 AM (IST)
जिद पर कांग्रेसी नहीं खुला इंटक का ताला, बाहर ही चल रहा दफ्तर
जिद पर कांग्रेसी नहीं खुला इंटक का ताला, बाहर ही चल रहा दफ्तर

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : राजनीतिक माहौल बदलने के लिए भले ही विभिन्न दलों के स्टार प्रचारक मैदान में उतर आए हों, लेकिन कांग्रेसियों की गुटबाजी बरकरार है। टिकट न मिलने के 10 दिन भी इंटक का ताला नहीं खुला है। यमुनानगर विधानसभा सीट पर सबको पछाड़कर टिकट हासिल करने वाली निर्मल चौहान के लिए इंटक कार्यालय के दरवाजे नहीं खुले। खुलवाने के लिए धरना भी दिया, लेकिन हल नहीं हुआ है। पार्टी के कदावर नेता भी प्रचार के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। अब चुनाव प्रचार पीक पर है और इंटक भवन का ताला लटका है।

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बरामदे में दरी बिछा बना दिया कार्यालय

प्रत्याशी निर्मल चौहान ने बरामदे में ही दफ्तर लगा दिया है। बंद ताले के बाहर चौहान कार्यकर्ताओं के साथ मीटिग करती हैं। दिनभर की रणनीति यहीं से तैयार होती है। भले ही खास कार्यकर्ता दूर हो, लेकिन आम कार्यकर्ता सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं। यहां पर आए एक कार्यकर्ता का कहना है कि मेरी ड्यूटी ग्रामीण एरिया में लगी है। यहां पर पार्टी की स्थिति पहले से ज्यादा मजबूत है। जब उनसे दफ्तर पर जड़े ताले न खुलने की बात की तो उनका कहना है कि इस दिक्कत के कारण ही तो कांग्रेसी बिखर गई।

नहीं आते बड़े नेता

बरामदे में लगे कार्यालय में सवा 11 बजे के कार्यकर्ता बैठे हुए थे। उनसे यहां पर आने वाले जिले के बड़े नेताओं के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि हमारे बीच तो बडे़ कांग्रेसी नेता यहां नहीं आए। हो सकता है कि मैडम को फील्ड में स्पोर्ट कर रहे हो। अच्छा तो यह होता कि टिकट मिलने पर सभी को मतभेद भुलाकर एकत्र होना चाहिए था। तब ज्यादा ताकत दिखाई देती।

बरामदे में ही करती हूं बैठक

प्रत्याशी निर्मल चौहान का कहना है कि ये लोग केवल दफ्तर पर ताला लगा सकते हैं, उनके हौसलों पर नहीं। ताला खुलवाने के लिए काफी प्रयास किया। उसके बाद ही बरामदे में कार्यालय लगाया गया। सामान रखने के लिए बराबर में एक दफ्तर लेना चाहते थे। उसमें रोडा अटकाया गया। जो सहयोग व विरोध में है, उन बारे हर दिन प्रदेशाध्यक्ष सैलजा को अवगत किया जाता हैं। मैं तो यही कहूंगी कि जो साथ आए उनका भी भला, जो न आए उनका भी भला।


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