फोटो में हरियाली, आंगन में सूखा
गत माह पर्यावरण दिवस मनाया गया। कुछ स्थानों पर पौधे भी लगाए। एक पौधे के साथ 10-10 अधिकारियों ने फोटो खिंचवाए।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
गत माह पर्यावरण दिवस मनाया गया। कुछ स्थानों पर पौधे भी लगाए। एक पौधे के साथ 10-10 अधिकारियों ने फोटो खिंचवाए। फोटो सैशन के बाद बचे पौधे आंगन में रखे ही सूख गए।
ये पौधे कहीं ओर नहीं, बल्कि नगर निगम कमिश्नर ऑफिस की दीवार के साथ ही रखे थे। कमिश्नर और न ही किसी अन्य अधिकारी या कर्मचारी का ध्यान इस तरफ गया। बिना पानी के दर्जनों पौधे ऐसे ही सूख गए। एक-एक पौधा कीमती बताया, खुद 70 सुखा दिए
दैनिक जागरण की टीम बुधवार को नगर निगम कार्यालय में पहुंची। गेट के अंदर एंट्री करते ही नगर निगम कमिश्नर पूजा चांवरिया की दीवार के साथ लगते पौधों पर पड़ी। यहां रखे करीब 70 पौधे ऐसे ही अधिकारियों की लापरवाही के कारण सूख गए। पूछताछ में पता चला कि ये पौधे पांच जून से एक दिन पहले पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में वन विभाग की नर्सरी से मंगवाए गए थे। कमिश्नर कार्यालय के ठीक सामने एक सेल्फी सेंटर बनाया गया था। जहां पर खड़े होकर कमिश्नर और मेयर ने पौधों को हाथ में लेकर फोटो खिंचवाई थी। ये पौधे लोगों को दिए गए थे तब भी फोटो खिंचवाते समय पर्यावरण को बचाने के लिए कई दावे किए। तब अधिकारियों ने कहा था कि एक-एक पेड़े बेशकीमती है, लेकिन यहां पौधे पेड़े बनने से पहले ही मुरझा गए। इससे तो अच्छा होता अधिकारी इन पौधों को खाली जमीन पर लगवा देते या फिर लोगों को ऐसे ही दे देते। कम से कम ये पौधे बड़े होकर पर्यावरण बचाने में अपना योगदान तो देते। सीएम ने कहा था 10 बेटों के बराबर एक पेड़
एक दिन पहले ही मंगलवार को कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री ने पौधगीरी कार्यक्रम की शुरुआत है। इस अभियान के तहत प्रदेशभर के स्कूलों और सरकारी कार्यालयों की जमीन पर 20 लाख से ज्यादा पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। कार्यकम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि एक पेड़ 10 पुत्रों के समान होता है, क्योंकि पौधा न जाने कितने सालों तक मनुष्य को फल, छांव और लकड़ी देकर हमारी मदद करते हैं। परंतु यहां तो अधिकारियों की नजर में पौधों की कोई कीमत नहीं है। यदि जिम्मेदारी समझी होती तो पौधे सूखते नहीं। लाखों खर्चे फिर भी भवन टूटा
नगर निगम का अभी तक अपना नया भवन बना नहीं है। अधिकारी पुरानी बिल्डिंग की मरम्मत पर ही हर साल लाखों रुपये खर्च करते हैं। सीलिग टूट कर नीचे गिर गई है। छत से पानी टपकता है। अब फिर मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये का बजट बनाया गया है। जितना पैसा आज तक इस भवन की मरम्मत पर खर्च किया गया है उससे तो इसका पक्का लेंटर डल जाता।