फसल अवशेषों का प्रबंधन करके दें पर्यावरण बचाने का संदेश, भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी
जागरण संवाददाता यमुनानगर जागरण के पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण को बचाएंगे अभियान के तह
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
जागरण के पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण को बचाएंगे अभियान के तहत मलिकपुर बांगर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सरपंच राजकुमार राणा की अध्यक्षता में किसानों ने खेतों फसल अवशेषों को न जलाने की शपथ ली। किसानों का कहना है कि समय के साथ बदलाव जरूरी है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों के पास कृषि यंत्र हैं। खेतों में पराली न जलाकर हम पर्यावरण बचाने के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। प्रदूषण का स्तर दिनोंदिन बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में हमें और भी अधिक सजग रहने की जरूरत है। किसानों को चाहिए कि वे खेतों पराली जलाएं नहीं बल्कि उसका खेत में ही प्रबंधन कर लें।
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आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करें
सरपंच राजकुमार राणा, नंबरदार एसोसिएशन के जिला प्रधान राहुल राणा, वीर बहादुर, राजकुमार, अकबर खान, नरेंद्र सिंह, रिषभ शर्मा, अंकुश शर्मा, मोहित कश्यप, रोहित कश्यप, चांदी राम, बलिद्र कश्यप व अब्दुल का कहना है कि इन दिनों धान की कटाई चल रही है। कुछ किसान फसल अवशेषों में आग लगाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं जबकि सरकार इस दिशा में काफी कड़े कदम उठा रही है। किसानों को पराली जलाने के नुकसान से अवगत भी कराया जा रहा है और जुर्माना भी किया जा रहा है। किसानों को अब समझना होगा कि खेतों में पराली न जलाने के कई फायदे हैं। कामन सर्विस सेंटरों की मदद से हम फसल अवशेषों का प्रबंधन कर सकते हैं। उनकी खेत में जुताई भी की जा सकती है और बेचकर अतिरिक्त आमदन भी हो सकती है।
खेतों में करें फसल अवशेषों का प्रबंधन
किसानों ने बताया कि उन्होंने कभी खेतों में फसल अवशेष नहीं जलाए। धान के सीजन में फसल अवशेषों के बीच ही गेहूं की बिजाई करते हैं जबकि गेहूं के सीजन में फसल अवशेषों से भूसा तैयार कर लेते हैं। इन दिनों धान की कटाई कर हम फसल अवशेषों के बीच ही हैप्पी सीडर या सुपर सीडर के माध्यम से गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। ऐसा करने से लागत भी कम आएगी और फसल भी अव्वल होगी। खेतों में पराली जलाने से काफी नुकसान है। भूमि के तपने के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति घट जाती है। मित्र कीट मर जाते हैं। जो लोग आज इस बात को नहीं समझ रहे हैं, भविष्य में उनको पछतावा होगा। यदि हम आज पराली जला रहे हैं, तो आने वाली पीढि़यों को इसका नुकसान होगा। पराली के खेत में प्रबंधन करने से यह खाद का काम करती है।