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फसल अवशेष जलाने से क्षीण होती भूमि की उर्वरा शक्ति

पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण को बचाएंगे.. अभियान के तहत जगाधरी के अनाज मंडी में किसानों के बीच परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस दौरान किसानों ने अपने विचार रखे। उन्होंने खेतों में फसल अवशेष न जलाने की बात कही।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 26 Oct 2019 07:00 AM (IST)
फसल अवशेष जलाने से क्षीण होती भूमि की उर्वरा शक्ति
फसल अवशेष जलाने से क्षीण होती भूमि की उर्वरा शक्ति

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण को बचाएंगे.. अभियान के तहत जगाधरी के अनाज मंडी में किसानों के बीच परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस दौरान किसानों ने अपने विचार रखे। उन्होंने खेतों में फसल अवशेष न जलाने की बात कही। साथ ही सरकार से इसके मजबूत विकल्प की भी मांग रखी। किसानों का कहना है कि खेतों फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति भी कमजोर होती है, लेकिन अवशेषों को जलाना किसानों की मजबूरी है। यदि न जलाएं तो खेत की जुताई करने का खर्च बढ़ जाता है। प्रगतिशील किसान एसपी सिंह ने पराली न जलाने के फायदों से अवगत कराया।

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बनी रहती भूमि की उर्वरा शक्ति

किसान एसपी सिंह ने कहा कि पराली को जलाना नहीं चाहिए, बल्कि उसको खेत में ही जुताई कर देनी चाहिए। कंबाइन से कटी धान के खेत में जुताई करना आसान है। यदि हम पराली जाएंगे तो पर्यावरण प्रदूषित होगा और भूमि की उर्वरा शक्ति भी घटेगी। अब किसानों के पास बेहतर विकल्प है। पराली को जैविक खाद के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। इसके प्रयोग से फसल की पैदावार भी अच्छी होगी।

इस्सरपुर के धर्मवीर सैनी, मुस्कीम और नागल के वीर सिंह राणा का कहना है कि खेतों में फसल अवशेष जलाना पर्यावरण के लिए घातक है। क्षेत्र में फसल अवशेषों की खरीद की व्यवस्था होनी चाहिए। किसान इस हक में नहीं है कि वे खेतों में पराली या अन्य अवशेष जलाएं, लेकिन क्या करें? अवशेषों को खेतों से बाहर निकालने के लिए लेबर भी नहीं मिलती। यदि ऐसा हो जाए तो किसान अवशेष जलाएंगे ही नहीं।

नागल के राजपाल, श्याम लाल सैनी, और मानकपुर के संदीप सैनी का कहना है कि पर्यावरण का प्रदूषणमुक्त होना जरूरी है। खेतों में फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण में जहरीली गैसें घुल रही हैं। खेतों में फसल अवशेष न जलाकर किसानों को पर्यावरण बचाने का संदेश देना चाहिए। सरकार को चाहिए कि फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध के साथ ही ऐसी औद्योगिक इकाइयों पर भी नकेल कसी जानी चाहिए जो प्रदूषण का कारण बन रही हैं। सरकार खेतों में पराली न जलाने पर दबाव दे रही है। एक प्रकार से यह किसानों के हित में है। भूमि के अंदर मित्र कीट नहीं जलते। दुघर्टनाओं की संभावना भी कम रहती है, लेकिन इसके विकल्प भी मजबूत होने चाहिए।


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