भाजपा की जीत ने लोगों की उम्मीदों को बढ़ाया
लोकसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित जीत से ट्विन सिटी वासियों की उम्मीद बढ़ गई हैं। अंबाला लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार सांसद रतन लाल कटारिया में उन समस्याओं का समाधान जनता देख रही जिन पर आज तक केवल राजनीति हुई है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : लोकसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित जीत से ट्विन सिटी वासियों की उम्मीद बढ़ गई हैं। अंबाला लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार सांसद रतन लाल कटारिया में उन समस्याओं का समाधान जनता देख रही, जिन पर आज तक केवल राजनीति हुई है। यमुनानगर-जगाधरी के साथ रादौर व साढौरा विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान अब जनता चाह रही है। विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण उम्मीद और भी बढ़ गई है। रेलवे लाइन
यमुनानगर से चंडीगढ़ वाया साढौरा तक बिछने वाली रेल लाइन महज एक सपना बनकर रह गई है। वर्ष 2009 में रेल लाइन को मंजूरी मिलने के बाद पहले कांग्रेस ने मामले को लटकाए कर रखा। उसके बाद भाजपा सरकार सत्ता में आई। पांच वर्ष बीते, लेकिन रेल लाइन का बिछानी तो दूर काम कब शुरू होगा, ये भी तय नहीं है। यमुनानगर से ज्योतिसर वाया रादौर तक लाइन बिछाने की घोषणा की जा चुकी है। जिले के लिए यह बड़ी राहत होगी। मेडिकल कॉलेज
यमुनानगर-जगाधरी में शिक्षण, मैनेजमेंट व तकनीकी कॉलेजों की तो भरमार है, लेकिन मेडिकल कॉलेज न होने के कारण विद्यार्थियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। पिछले कार्यकाल में सांसद रत्न लाल कटारिया स्वयं मेडिकल कॉलेज खोले जाने की बात कह चुके हैं, यह परियोजना भी आज तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। इसके अलावा लोकसभा क्षेत्र में हवाई अड्डा बनवाए जाने की मांग भी पूरी नहीं हो पाई।
स्मार्ट सिटी
यमुनानगर-जगाधरी को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना है। खुले मंच से कई घोषणा हो चुकी है। यमुनानगर-जगाधरी से सरकार को जितना रिवेन्यू जा रहा है, उतना विकास नहीं हो रहा है। ओद्योगिक नगरी होने के बावजूद यहां न तो कोई प्रशिक्षण सेंटर है। न ही उद्योगपतियों को कोई राहत मिल सकी। एमएसएमई को स्पोर्ट किए जाने व औद्योगिक इकाइयों के विकास के लिए ठोस नीति बनाए जाने की मांग है। बाइपास पर अंडर पास
मौत का हाईवे बन चुका कैल कलानौर बाईपास दो विधानसभा व दो लोकसभा क्षेत्रों के बीच से होकर निकलता है। इसके बावजूद इस पर कहीं भी अंडरपास या ओवरब्रिज नहीं बना। हर चौथे दिन इस हाईवे पर लोग जान गंवा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह फ्लाईओवर न होने की है। 23 किमी लंबा यह हाईवे 27 गांवों से होकर निकल रहा है। आठ जगह मौत के कट खुले हैं। ट्रांसपोर्ट नगर
शहर में ट्रांसपोर्टनगर न होने का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। यमुनानगर-सहारनपुर मार्ग हो या फिर छछरौली रोड दोनों ओर सड़कों पर ट्रक चालकों का कब्जा है। हमीदा बस स्टॉप से लेकर यमुना पुल तक दोनों ओर ट्रकों खड़े रहते हैं। करीब आधी सड़क पर उनका कब्जा है। बता दें कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जाने के लिए इसी मार्ग का सहारा लिया जाता है। अवैध कॉलोनियां
यमुनानगर व रादौर विधानसभा क्षेत्र में आने वाली डेढ़ लाख की आबादी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। कारण कुछ और नहीं, बल्कि इन पर अवैध होने का टैग है। विकास का दावा हर सरकार ने किया, लेकिन ये कॉलोनियां विकास से दूर रही। यमुनानगर-जगाधरी की 69 कॉलोनियां बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। कोई कॉलोनी 25 वर्ष पुरानी है। अवैध कॉलोनियों की संख्या 200 से अधिक है जबकि सरकारी रिकार्ड में इनकी संख्या केवल 69 है। इन कॉलोनियों में पानी की निकासी, सड़कें, स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। बाढ़ से बचाव
लाइफ लाइन कही जाने वाली यमुना नदी जिले के लिए डेड लाइन बनकर जाती है। हथनी कुंड बैराज से लेकर पानीपत तक लाखों एकड़ में फसल पर रेत की परत चढ़ जाती है और हजारों एकड़ यमुना के आगोश में समा जाती है। बचाव कार्यो पर खर्च हुए करोड़ों रुपये पानी की धार के साथ बह जाते हैं। यमुना के साथ पक्की पटरी का निर्माण करा दिया जाए तो राहत मिल सकती है।
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