केयर पार्टनर नर्सिग होम के खिलाफ भाकियू का धरना
लालद्वारा के पास केयर पार्टनर नर्सिग होम के खिलाफ भाकियू ने धरना दिया। आरोप है कि नर्सिग होम में मरीजों को गुमराह किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : लालद्वारा के पास केयर पार्टनर नर्सिग होम के खिलाफ भाकियू ने धरना दिया। आरोप है कि नर्सिग होम में मरीजों को गुमराह किया जा रहा है। उन्हें स्टंट डालने की बात कहकर लूटा जा रहा है। कई मरीजों को इनकी लापरवाही से मौत भी हो चुकी है। करीब पांच घंटे तक धरना चला। बाद में एसडीएम दर्शन कुमार व सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया पहुंचे। उन्होंने पैनल बनाकर 25 फरवरी तक जांच कर फाइनल रिपोर्ट देने का आश्वासन दिया है। यदि इसमें नर्सिग होम संचालकों की लापरवाही मिलती है, तो कार्रवाई का भी आश्वासन दिया गया है। इसके बाद ही धरना खत्म हुआ।
भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान, व्यापार मंडल के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र मित्तल ने कहा कि निजी अस्पताल इलाज के नाम पर मरीजों को लूट रहे हैं। पहले भी इसी तरह से कई मरीजों के साथ इलाज में धोखा हो चुका है। ऐसे अस्पतालों को बंद करा देना चाहिए। इस दौरान आरोप लगाया गया कि अधिकारी भी इन नर्सिग होम संचालकों से मिले हुए हैं। जिस वजह से निष्पक्ष जांच नहीं हो रही है। एक सप्ताह पहले शिकायत दी गई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस दौरान तहसीलदार छोटू राम भी किसानों के बीच बैठे। उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी।
गैस का दर्द हुआ, स्टंट डाल दिए
धरने में शामिल सेक्टर 17 निवासी दिनेश खुराना ने बताया कि छह जुलाई को उनके पिता जगदीश चंद्र को दर्द हुआ। वह उन्हें यहां अस्पताल में लेकर आए। उनको भी हार्ट अटैक बताया गया और स्टंट डाल दिए। अगले ही दिन उनकी मौत हो गई। बाद में पता लगा कि उनको गैस का दर्द था। इस मामले में शिकायत दी गई है। अभी कमेटी के पास जांच चल रही है। आरोप है कि पुलिस से लेकर अस्पताल से भी उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।
यह हुआ था मामला
गत 30 जनवरी की रात को सुभाष गुर्जर को छाती में दर्द हुआ। जिस पर उनके परिवार के लोग उन्हें केयर पार्टनर नर्सिंग होम में लेकर गए। उनसे एंजीयोग्राफी व स्टंट डालने के नाम पर उन्हें एक लाख 85 हजार रुपये जमा कराने के लिए कहा। उन्होंने पहले 50 हजार रुपये जमा करा दिए और इलाज शुरू करने के लिए कहने लगे। अस्पताल के डॉ. शगुन ने कहा कि हार्ट की नसें ब्लॉक हो चुकी हैं। इसलिए दो लाख रुपये तुरंत जमा कराओ। परिवार ने उन्हें पीजीआइ रेफर करने के लिए कहा। डॉक्टरों ने उन्हें डरा दिया कि हालत अधिक खराब हैं। अंबाला तक भी नहीं पहुंच सकेंगे। तीन से चार स्टंट उन्हें डालने पड़ेंगे। तभी उनके रिश्तेदार आ गए। उनके कहने पर दूसरे अस्पताल में लेकर गए, तो वहां पर चिकित्सकों ने उन्हें बिल्कुल ठीक बताया। वहीं, केयर पार्टनर नर्सिंग होम के ऑपरेशन मैनेजर विनय धीमान का कहना है कि हमने मरीज सुभाष को एंजीयोग्राफी कराने के बारे में कहा था ताकि पता लग सके कि हार्ट में कितनी ब्लॉकेज है और उसके बाद ही स्टंट डालने की बात क्लियर होगी। सुभाष जिस समय हमारे पास आए, उनको हार्ट अटैक था। पैसे केवल कंसलटेशन फीस व ईसीजी के लिए गए हैं। अन्य कोई पैसा नहीं लिया गया है।